नई दिल्ली । भारत सरकार (Indian government) के ताजा तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (QES) के अनुसार, संगठित क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि दर्ज की गई है. सर्वेक्षण में शामिल 9 क्षेत्रों में 1,85,000 नौकरियां उपलब्ध हैं जो 10 से अधिक कर्मचारियों वाली सभी कंपनी में खाली पड़े पदों का 85 फीसदी है. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labor and Employment) की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर-दिसंबर 2021 के बीच चुनिंदा 9 क्षेत्रों में 4,00,000 नौकरियां दी गई हैं.
इस सर्वे में 10,834 इकाइयों का आंकलन किया गया जिसमें सामने आया कि जुलाई-सितंबर 2021 के 3.10 करोड़ से बढ़कर अक्टूबर-दिसंबर में 3.14 करोड़ हो गया. गौरतलब है कि यह पिछली तिमाही से करीब 4,00,000 अधिक था. हालांकि, इस दौरान श्रमबल में महिलाओं की संख्या घटी है. दूसरी तिमाही में जहां कुल श्रमबल का 32 फीसदी महिलाएं थीं समीक्षाधीन तिमाही में वह घटकर 31.6 फीसदी रह गईं हैं.
पहले 2 सर्वेक्षणों की स्थिति
रोजगार में वृद्धि का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2021-22 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून के लिए जारी सर्वेक्षण में इन 9 क्षेत्रों में रोजगार 3.8 करोड़ था. वहीं, जुलाई-सितंबर में कुल रोजगार 3.10 करोड़ हो गए जो पहली तिमाही से करीब 2 लाख अधिक थे.
किन क्षेत्रों में कितना रोजगार
रिपोर्ट के मुताबिक, इन 9 क्षेत्रों में फिलहाल 1,85,000 वेकेंसी हैं. कुल वेकेंसी का सबसे बड़ा हिस्सा 39.4 फीसदी विनिर्माण यानी मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में है. इसके बाद शिक्षा में 22 फीसदी, आईटी/बीपीओ में 11 फीसदी, हेल्थ में 10.4 फीसदी, ट्रेड में 5.3 फीसदी, ट्रांसपोर्ट में 4.2 फीसदी व बाकी नौकरियां वित्तीय सेवा, रेस्टोरेंट/अकोमोडेशन और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में है. इनमें से 86.5 फीसदी पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है. वहीं, 4 फीसदी पदों के लिए उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिल पाए हैं जबकि करीब 10 फीसदी पदों के लिए कोई जानकारी नहीं दी गई है.
रोजगार के अवसरों में सुधार की वजह
गौरतलब है कि कोविड-19 प्रतिरोधी वैक्सीनेशन में वृद्धि, कोरोना का प्रभाव पहले से कम होने व आर्थिक गतिविधियों के दोबारा सामान्य होने के कारण श्रम की आवश्यकता में उछाल आया है. संगठित व असंगठित दोनों की क्षेत्रों में रोजगार के अवसर दोबारा बनने शुरू हुए हैं. हालांकि, कई राज्यों में बेरोजगारी राष्ट्रीय औसत से अधिक है. सीएमआईई के मुताबिक, मार्च में बेरोजगारी दर 7.6 फीसदी थी लेकिन कई राज्यों में यह 25 फीसदी को पार कर गई थी. हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में सर्वाधिक बेरोजगारी है. वहीं, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की स्थिति ठीक है.
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