नई दिल्ली (New Delhi) । सरकार 2023-24 में 40,000-50,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रख सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्याज दरें ऊपर हैं। वैश्विक स्तर पर आर्थिक स्थितियां (Economic Conditions) अच्छी नहीं हैं। कई देश मंदी में जा सकते हैं, जिससे निवेशक (investor) सावधानी बरत रहे हैं। ऐसे में सरकार के लिए पूंजी जुटाना मुश्किल हो सकता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब से उदारीकरण की शुरुआत हुई है यानी वित्त वर्ष 1992 से लेकर अब तक केवल आठ बार ही सरकार विनिवेश लक्ष्य को पूरा कर पाई है। नौ बार उसे लक्ष्य की तुलना में केवल 50 फीसदी रकम मिली है। पिछले 30 वर्षों में कुल 12.17 लाख करोड़ के विनिवेश लक्ष्य के मुकाबले सरकार को सिर्फ 7.28 लाख करोड़ रुपये ही मिल पाए।
वित्त वर्ष 2018, 2019 और 2022 ऐसे साल रहे हैं, जिसमें कुछ बड़ी कंपनियों (large companies) ने ज्यादा रकम जुटाई है। इसमें 2018 में एनटीपी और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (जीआईसी) ने और 2019 में भारत 22 ईटीएफ और कोल इंडिया ने ज्यादा रकम जुटाई। 2022 में एक्सिस बैंक में सूटी का हिस्सा बेचने और एनएमडीसी के साथ एअर इंडिया का विनिवेश रहा है।
चालू वित्त वर्ष में 65,000 करोड़ जुटाने की योजना
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में 65,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य से 25 हजार करोड़ कम रकम मिलने की उम्मीद है। अप्रैल से नवंबर तक कुल 28,429 करोड़ रुपये जुटाए गए।
सरकार प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ), फॉलोऑन पब्लिक ऑफर, ऑफर फॉर सेल, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), बायबैक और रणनीतिक बिक्री आदि से रकम जुटाती है।
वित्त वर्ष 1992 से लेकर 2000 के बीच ज्यादा रकम रणनीतिक बिक्री और आईपीओ से जुटाई गई।
उसके बाद 2000 से 2014 के बीच सीपीएसई की बिक्री, ईटीएफ और बायबैक से ज्यादा पूंजी जुटाई गई।
वित्त वर्ष 2020 से लेकर अब तक ज्यादा रकम आईपीओ के जरिये जुटाई गई।
300 लाख करोड़ हो सकता है जीडीपी का आकार : एसबीआई
देश की जीडीपी का आकार 2023-24 में 9.8 फीसदी बढ़कर 300 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। एसबीआई ने 2022-23 के लिए 273 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था का अनुमान लगाया है। बजट में यह अनुमान 258 लाख करोड़ रुपये था। एसबीआई ने रिपोर्ट में कहा, 2023-24 में सरकार की प्राप्तियां 28 लाख करोड़ रुपये होगी। बजट अनुमान 22.8 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि, एसबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए 25 लाख करोड़ का अनुमान लगाया है। इसके मुकाबले 12.1 फीसदी की बढ़त होगी।
2022-23 में 39.4 लाख करोड़ के खर्च का अनुमान बजट में लगाया गया था। लेकिन, एसबीआई का कहना है कि यह 42.5 लाख करोड़ हो सकता है। राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी से कम होकर 6 फीसदी पर आ सकता है।
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