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    मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे के बीच सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश

  • May 31, 2022

    नई दिल्ली। देशों में मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Indian Ministry of Health and Family Welfare) ने गाइडलाइंस जारी की हैं। हालांकि अभी तक भारत में इस बीमारी का एक भी केस सामने नहीं आया है। इसके बावजूद सरकार एहतियात के स्तर पर किसी तरह की लापरवाही नहीं चाहती है। यही वजह है कि मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी की है, ताकि बीमारी या इसके लक्षणों को लेकर किसी तरह की गलतफहमी न रहे। साथ ही अगर आगे चलकर कोई केस आता है तो उस समय के हालात को बेहतर ढंग से मैनेज किया जा सके।

    मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक लैब में टेस्टिंग के बाद ही मंकीपॉक्स के केस को कंफर्म माना जाएगा। इसके लिए पीसीआर या डीएनए टेस्टिंग का तरीका ही मान्य होगा। अगर कोई संदिग्ध मामला आता है कि राज्यों और जिलों में बने इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के नेटवर्क के जरिए इसका सैंपल आईसीएमआर-एनआईवी के पुणे स्थित शीर्ष लैब में भेजा जाएगा। वहीं मंकीपॉक्स से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, उसके मुताबिक सभी इंतजाम महामारी विज्ञान के तहत किए जाने हैं। इसमें बीमार और उसकी देखभाल, डायग्नोसिस, केस मैनेजमेंट और रिस्क संबंधी फैक्टर्स पर ध्यान देने की बात कही गई है।


    मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों में देखभाल और नए केसों की तेजी से पहचान पर भी जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बीमारी के पहुंचने पर रोक लगानी होगी। साथ ही इंफेक्शन रोकने और नियंत्रण के तरीकों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। घर पर इंफेक्शन रोकने और उन्हें नियंत्रण करने, मरीज को आइसोलेशन में रखने और एंबुलेंस ट्रांसफर की रणनीति के बारे में भी जानकारी दी गई है। साथ ही यह भी बताया गया है कि आइसोलेशन के दौरान किस तरह की सावधानी बरती जाए।

    कांटैक्ट में आने के बाद 21 दिन तक हो लक्षणों की निगरानी
    -दिशानिर्देशों में बताया गया है कि मंकीपॉक्स से पीड़ित किसी शख्स के कांटैक्ट में आने के बाद 21 दिन तक लगातार उसके लक्षणों की निगरानी की जाए।
    -इसके अलावा लोगों को इस बारे में भी जागरूक बनाने पर जोर दिया गया है, कि वो ऐसे बीमार व्यक्ति के किसी सामान का इस्तेमाल करने से बचें।
    -साथ ही अगर इस बीमारी से पीड़ित कोई आइसोलेशन में है तो उसकी देखभाल करते वक्त हाथों को सही ढंग से सैनेटाइज किया जाए।
    -इसके अलावा उचित ढंग की पीपीई किट पहनने की जरूरत पर भी जो दिया गया है।

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