कोलंबो। श्रीलंका की इकॉनमी (economy) का बुरा हाल है, कोलंबो सहित देश के कई शहरों में लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapakse) से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। कोरोना (Corona) के कारण पर्यटन से कम कमाई, सोशल स्पेंडिंग, खाने की चीजों, फ्यूल और विदेशी मुद्रा आदि को श्रीलंका के ताजा हालात के पीछे का कारण बताया जा रहा है। लेकिन कोलंबो के मौजूदा हाल के पीछे गोताबाया राजपक्षे का क्या रोल रहा है, आइए समझने की कोशिश करते हैं।
अर्थव्यवस्था कैसे हुई बर्बाद ?
2019 में राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद गोताबाया ने महंगी टैक्स कटौती की। इसके बाद जैविक खेती को लेकर कई गलत कदम उठाए जससे चावल और चाय जैसे महत्वपूर्ण निर्यात वाली चीजों पर लगाम लग गई। फिर विकास और प्रोजेक्ट्स के नाम पर श्रीलंका ने चीन से कर्ज लिया। इस सबसे हुआ ये कि एशिया में श्रीलंका की मुद्रास्फीति दर सबसे तेज करीब 19 फीसद पर पहुंच गई। विदेशी मुद्रा 2 बिलियन डॉलर से भी कम बची है। ऐसे में सरकार ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है और कहा है कि वह विदेशी कर्ज के भुगतान की स्थिति में नहीं है।
चीन के कारण डूबा श्रीलंका
कोलंबो सिटी पोर्ट प्रोजेक्ट को लेकर ऐसी कल्पना की गई कि इसे ऐसे तैयार करेंगे जिससे खूब पैसा कमाएंगे। पोर्ट सिटी एक महंगी कल्पना है। कितनी महंगी? 1.4 बिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट है जो कि श्रीलंका में सबसे बड़ा निवेश है। इसे 2041 तक पूरा करने का प्लान है। लेकिन यह साफ नहीं है कि उस वक्त भी इस प्रोजेक्ट से कितनी कमाई की जा सकती है।
चीनी कर्ज के बोझ को कम करने के लिए श्रीलंका ने हंबनटोटा पोर्ट और कोलंबो हाईवे प्रोजेक्ट सहित कई प्रोजेक्ट्स को चीन को पट्टे पर दे दिया। एक्सपर्ट्स मानते हैं 2.2 करोड़ आबादी वाले इस देश ने करीब-करीब अपने सारे स्ट्रेटजिक संपत्तियों को दांव पर लगा दिया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर क्षेत्रीय जियोपॉलिटिक्स में फंसकर श्रीलंका का ये हाल है तो अमेरिका-चीन के बीच शीत युद्ध में किसी का भी पक्ष लेना श्रीलंका के लिए और भी घातक हो सकता है।
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