नई दिल्ली (New Delhi) । अगर आप भी एंड्रॉयड डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपके लिए अच्छी साबित हो सकती है। गूगल ने एंड्रॉयड डिवाइस के लिए नए साइन-अप ऑप्शन (new sign-up option) के लिए पास-की (Passkey) सपोर्ट जारी कर दिया है। इस सुविधा को पहले पर्सनल अकाउंट के लिए अतिरिक्त साइन-इन ऑप्शन के रूप में पेश किया गया था, लेकिन अब फीचर को वर्कस्पेस अकाउंट और गूगल क्लाउड अकाउंट (workspace account and google cloud account) के लिए भी जारी कर दिया गया है। इस फीचर की मदद बिना पासवर्ड डाले ही लॉगिन किया जा सकता है।
क्या है पास-की फीचर?
पास-की एक यूनिक डिजिटल आइडेंटिटी है जो आपके डिवाइस पर स्टोर रह सकता है। यह आपके डिवाइस में यूएसबी सिक्योरिटी की तरह रह सकता है और इसकी मदद से आसानी से लॉगिन या एक्सेस किया जा सकता है। पास-की फीचर पासवर्ड से अधिक सुरक्षित और उपयोग में आसान है। इसे पासवर्ड की जगह इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया गया है, यह बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के लिए टच आईडी या फेस आईडी का उपयोग करता है।
कैसे काम करता है पास-की?
पासकी पासवर्ड-ओनली लॉगिन को रिप्लेस करती है और यूजर्स को पिन, फिंगरप्रिंट स्कैनर और फेस अनलॉक के साथ एप्स और वेबसाइटों में साइन-इन करने की अनुमति देती है। गूगल का दावा है कि पासवर्ड रहित साइन-इन मेथड फिशिंग और अन्य सोशल इंजीनियरिंग हमलों के प्रभाव को कम करती है। ओपन बीटा लॉन्च के साथ, 9 मिलियन से अधिक ऑर्गेनाइजेशन अपने यूजर्स को पासवर्ड के बजाय पास-की का उपयोग करके गूगल वर्कप्लेस और गूगल क्लाउड अकाउंट में साइन इन करने की अनुमति दे सकते हैं।
दोगुना तेज और चार गुना एरर फ्री!
पिछले महीने पर्सनल अकाउंट में इस फीचर की घोषणा करने के बाद, गूगल ने अतिरिक्त साइन-इन ऑप्शन के रूप में पर्सनल गूगल अकाउंट्स के लिए पास-की उपलब्ध कराई है। गूगल का कहना है कि पास-की का उपयोग सामान्य पासवर्ड की तुलना में दोगुना तेज और चार गुना एरर फ्री है। प्राइवेसी को लेकर अमेरिकी टेक कंपनी का दावा है कि “यूजर्स का बायोमेट्रिक डाटा कभी भी गूगल के सर्वर या अन्य वेबसाइटों और एप्स पर नहीं भेजा जाता है”।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved