– प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
शोध की हसरत रखने वाले युवाओं को यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने बड़ा तोहफा दिया है। यूजीसी ने पीएचडी के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। अब यूजी के बाद आप सीधे पीएचडी कर सकेंगे, लेकिन आपको चार साल की यूजी की डिग्री लेनी होगी। बशर्ते रिसर्च के आवेदकों की यूजी में 7.5 सीजीपीए होनी चाहिए। उल्लेखनीय है, नई शिक्षा नीति 2020-एनपीई में अंकों को प्रतिशत में मापने की प्रक्रिया को समाप्त करके सीजीपीए में परिवर्तित कर चुकी है। यदि किसी स्टूडेंट की सीजीपीए 7.5 से कम है तो छात्र को एक साल का पीजी कोर्स करना होगा। यूजीसी ने पीएचडी की इन गाइड लाइंस को जारी भी कर दिया है। उम्मीद है, पीएचडी के लिए नए नियम सत्र 2022-23 से लागू हो जाएंगे। अब तक पीएचडी करने के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन अनिवार्य था। यदि आप पीएचडी में एडमिशन चाहते थे तो आपके पीजी में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए थे।
रिसर्च में एडमिशन के लिए पात्रता: राष्ट्रीय शिक्षा नीति घोषित करते वक्त एमफिल को समाप्त करने की सिफारिश की गई थी। साथ ही चार वर्षीय यूजी पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रावधान किया। इन्हीं के मद्देनजर यूजीसी ने यह बड़ा बदलाव किया है। पीएचडी के नए नियम आगामी सत्र 2022-23 से लागू किए जा सकते हैं। नए प्रावधानों को लेकर यूजीसी का मानना है कि इसका मकसद देश में शोध को बढ़ावा देना है। यूजी पाठ्यक्रमों में 7.5 या उससे ज्यादा सीजीपीए लाने वाले छात्र ही एडमिशन के पात्र होंगे। यदि छात्रों ने 7.5 से कम सीजीपीए प्राप्त किया है तो उन्हें एक वर्षिय मास्टर डिग्री करनी होगी। हालांकि नए नियमों में इस बात का खुलासा नहीं है, क्या ये यूजी छात्र नेट की परीक्षा दे सकेंगे? अभी तक नेट में पीजी क्वालीफाई स्टूडेंट्स ही बैठ सकते हैं।
एससी/एसटी/दिव्यांग/बीसी को मिलेगी छूट: पीएचडी में सीधे प्रवेश लेने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को 0.5 ग्रेड अंक की छूट मिलेगी। यूजीसी ने इस संबंध में सभी विश्वद्यिालयों को सूचित कर दिया है। अभी तक यह नियम केवल चार वर्ष का इंजीनियरिंग कोर्स करने वाले स्टुडेंट्स के लिए ही मान्य था। एनपीई के तहत पहली बार बीए/बीएससी/बीकॉम करने वाले स्टूडेंट्स को सीधे पीएचडी में दाखिले का प्रावधान हुआ है। पीएचडी कोर्स की न्यूनतम अवधि न्यूनतम 02 वर्ष और अधिकतम 06 वर्ष तय की गई है। इसमें कोर्स वर्क की समयावधि को शामिल नहीं किया गया है। पीएचडी करने के दौरान महिला अभ्यर्थियों को अधिकतम 240 दिन का मातृत्व अवकाश मिल सकेगा।
साठ फीसदी सीटों पर नेट से होंगे प्रवेश: यूजीसी के मुताबिक 60 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा- नेट के आधार पर होंगे। बाकी 40 फीसदी सीटों पर प्रवेश यूनिवर्सिटी अपनी कॉमन प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू प्रक्रिया के आधार पर ले सकेंगे। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में साल में दो बार कॉमन प्रवेश परीक्षा होती है। यूजीसी के नियमों के मुताबिक सीटें खाली रहने पर विश्वविद्यालय मेरिट के आधार पर किसी भी कैटेगरी के अभ्यर्थी को अवसर दे सकेंगे। उल्लेखनीय है कि नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट देने की आवश्यकता नहीं होती है। उन्हें सीधे ही प्रवेश दिया जाता है। यूजीसी की विशेष पदों को सृजित करने की भी योजना है। इन पदों पर नियुक्ति के लिए पीएचडी और नेट की कोई दरकार नहीं होगी। ये पद प्रोफेसर और प्रैक्टिस और एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस हो सकते हैं। यह एक तरह से यूजीसी का पेशेवरों को तोहफा होगा।
एनईपी के तहत नई पहल- सीयूईटी: केंद्र सरकार उच्च शिक्षा की सूरत और सीरत बदलने को संकल्पबद्ध है। एनईपी-20 के जरिए अपने सपनों को साकार करना चाहती है। एनईपी में सभी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए एक केन्द्रीय परीक्षा का भी प्रावधान है। कोरोना के चलते बीते वर्ष तो कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट-सीयूईटी नहीं करा पाई, लेकिन सत्र 2022-23 के लिए पूरी तैयारी है। जेईई और एनईईटी की मानिंद सीयूटीई का जिम्मा भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को सौंपा गया है। यह अखिल भारतीय परीक्षा जुलाई में 13 भाषाओं में होगी। इस बार सेंट्रल, डीम्ड टू बी, स्टेट यूनिवर्सिटीज के साथ-साथ देश की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज भी शामिल हैं। यह परीक्षा यूजी और पीजी के लिए हो रही है। इस परीक्षा में सभी प्रश्न बारहवीं क्लास के सिलेबस के पूछे जाएंगे।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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