उज्जैन। जिले में पिछले महीने फसल कटाई का काम शुरू ही हुआ है लेकिन गेहूँ की फसल की जोरदार आवक मंडी में हो रही है। प्रतिदिन 25000 से लेकर 38000 बोरी की आवक मंडी में हुई है और किसानों को गेहूँ के भाव भी अच्छे मिल रहे हैं। इसका असर समर्थन मूल्य की खरीदी पर पड़ेगा। समर्थन मूल्य की खरीदी 25 मार्च से होगी लेकिन उसके पहले ही मंडी में रोज गेहूँ की आवक बढऩे लगी है। करीब 3 दिन पहले गेहूँ की आवक 38000 बोरी तक पहुँच गई थी और प्रतिदिन अभी भी 25 हजार से लेकर 38000 बोरी के बीच आवक हो रही है, वहीं किसानों को मंडी में भाव भी क्वालिटी के अनुसार 2100 से लेकर 2500 तक मिल रहे हैं, वहीं समर्थन मूल्य की खरीदी में गेहूँ 2015 प्रति क्विंटल तक ही खरीदा जाएगा।
ऐसे में किसान भले ही फसल बेचने का पंजीयन करा रहे हैं लेकिन गेहँू बेचने नहीं आएँगे, इसका असर समर्थन मूल्य की खरीदी पर निश्चित रूप से पड़ेगा। वैसे भी सरकार किसानों को रिझाने के लिए समर्थन मूल्य की खरीदी कर रही है नहीं तो सरकार के पास अभी 4 साल का गेहूँ का भंडार पड़ा हुआ है, ऐसे में अब यह देखने योग्य होगा कि समर्थन मूल्य में कितने किसान अपनी फसल बेचने आते हैं।
1 लाख 5 हजार किसानों ने कराया पंजीयन
25 मार्च से शुरू हो रही समर्थन मूल्य की खरीदी के लिए जिले में 1 लाख 5000 किसानों ने पंजीयन करा लिया है और वह अपनी उपज बेचने आएँगे या नहीं या अभी तय नहीं है, क्योंकि मंडी में ही उन्हें अपनी उपज के अच्छे दाम मिल रहे हैं, ऐसे में वह कम दाम पर समर्थन मूल्य में गेहूँ बेचने नहीं आएंगे। हो सकता है जो गेहूँ खराब क्वालिटी का हो वही गेहूँ किसान बेचने आयेगा और उसके बाद विवाद की स्थिति भी बन सकती है। हर बार मंडी में किसान खराब गेहँू समर्थन मूल्य पर बेचना चाहता है और ऐसे में मंडी में समर्थन मूल्य की खरीदी करने वाले विभाग और किसानों के बीच विवाद की स्थिति बनती है।
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