नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की वजह से लगे झटके के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economic) में तेजी से सुधार हुआ है। अर्थव्यवस्था में सुधार के कारण साल 2021 में भारत की इकॉनमी में 12 फीसदी तक की ग्रोथ हो सकती है। मूडीज (Moody’s) एनालिटिक्स के अनुमान में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर सुधार हुआ है।
मूडीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल 7.1 फीसदी की गिरावट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने जिस तेजी के साथ वापसी की है, उससे भविष्य की संभावनाएं अधिक अनुकूल नजर आने लगी हैं। उल्लेखनीय है कि सितंबर की तिमाही में भी देश की अर्थव्यस्था में 7.5 फीसदी का संकुचन देखने को मिला था लेकिन दिसंबर की तिमाही में अर्थव्यवस्था ने 0.4 फीसदी की उछाल भरी थी। मूडीज एनालिटिक्स के मुताबिक आंकड़ों में काफी मामूली नजर आने वाली ये छलांग ही दरअसल भविष्य की बेहतरी का संकेत देती है।
मूडीज एनालिटिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के प्रतिबंधों के उठने के साथ ही घरेलू और विदेशी मांग में भी तेजी आती दिख रही है, जिसकी वजह से हाल के महीनों में देश में मैन्यूफैक्चरिंग आउटपुट में बढ़ोतरी देखने को मिली है। उम्मीद की जा रही है कि अगली कुछ तिमाहियों में देश में निजी खपत और गैर निवासी निवेश (नॉन-रेसीडेंसियल इन्वेस्टमेंट) में अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी। 2021 में हमें देश में घरेलू मांग बढ़ती दिखेगी, जिसका फायदा पूरी इकोनॉमी को मिलेगा।
मूडीज का मानना है कि साल 2021 में देश की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 12 फीसदी के आसपास रह सकती है। इसमें कुछ योगदान पिछले साल के लो बेस इफेक्ट का भी होगा। मूडीज को उम्मीद है कि देश में मौद्रिक और राजकोषीय नीतियां सकारात्मक और ग्रोथ ओरिएंटेड बनी रहेंगी। इस साल नीतिगत दरों में भी किसी तरह की कटौती होने की उम्मीद नहीं है और ये चार फीसदी के स्तर पर बनी रहनी चाहिए।
मूडीज को इस बात की भी उम्मीद है कि साल की दूसरी छमाही में कुछ अतिरिक्त राजकोषीय समर्थन देखने को भी मिल सकता है। हालांकि ये घरेलू खर्च की स्थिति पर निर्भर करेगा।
मूडीज की इस रिपोर्ट में इस बात की आशंका भी जताई गई है कि 2021-22 का बजट वित्तीय घाटे को जीडीपी के 7 फीसदी के आसपास तक ले जा सकता है। रिपोर्ट में इस साल मुख्य मुद्रास्फीति (कोर इंफ्लेशन) के नियंत्रित तरीके से बढ़ने की बात कही गई है। हालांकि खाने-पीने की चीजों और ईंधन की महंगाई आम आदमी पर दबाव बना सकती है।
मूडीज एनालिटिक्स की रिपोर्ट में इसके साथ ही कोरोना की दूसरी लहर के खतरे की चर्चा की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में अर्थव्यवस्था की स्थिति में होने वाले संभावित सुधार पर कोरोना की दूसरी लहर का खतरा बना रहेगा। इस सिलसिले में अच्छी बात ये है कि कोरोना का नया उभार कुछ राज्यों तक ही सीमित दिख रहा है। इसके साथ ही वैक्सीनेशन ड्राइव की सफलता कोरोना पर काबू पाने में अहम भूमिका निभाएगी। (एजेंसी, हि.स.)
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