नई दिल्ली: भारत (India)-अमेरिका (America) के बीच व्यापार (Business) को लेकर जारी चिंता के बीच सुरक्षा के क्षेत्र में एक अच्छी खबर है। अमेरिकी विमान इंजन बनाने वाली कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) इस महीने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 99 GE-404 इंजन में से पहला इंजन देने वाली है।
यह इंजन तेजस (Tejas) मार्क 1-ए लड़ाकू विमानों की ताकत बढ़ाएगा। इंजन की डिलीवरी में दो साल की देरी हुई है, जिससे भारतीय वायुसेना (IAF) में चिंता है। 716 मिलियन USD का यह सौदा 2021 में हुआ था। इसके साथ ही भारत DRDO की तरफ से डेवलप किए गए AMCA के लिए GE-414 इंजन को भारत में बनाने के लिए भी काम कर रहा है।
इस साल 12 इंजन और मिलेंगे
सूत्रों के अनुसार पहला इंजन टेस्ट-बेड पर है और इस महीने के अंत तक दे दिया जाएगा। इसके बाद GE 2025 में 12 इंजन और उसके बाद हर साल 20 इंजन देगा। HAL, GE के साथ मिलकर GE-414 इंजन को भारत में बनाने के लिए काम कर रहा है। यह काम भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच iCET के तहत हो रहा है। GE-414 इंजन DRDO द्वारा बनाए जा रहे एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) विमान को शक्तिशाली बना देगा।
रक्षा मंत्रालय बना चुका है एक कमेटी
HAL के 83 LCA MK 1 A विमानों की डिलीवरी में देरी करने और IAF चीफ की नाराजगी के बाद, रक्षा मंत्रालय ने एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी के अध्यक्ष रक्षा सचिव आर. के. सिंह हैं। यह कमेटी फिफ्थ जेनरेशन के लड़ाकू विमान के लिए एक बिजनेस मॉडल बनाएगी। कमेटी AMCA के तकनीकी पहलुओं पर ध्यान नहीं देगी, बल्कि एक ऐसा मॉडल बनाएगी, जिसमें निजी क्षेत्र भी शामिल हो। इसका मकसद यह है कि भारत के पास भविष्य में लड़ाकू विमान बनाने के लिए HAL के अलावा भी विकल्प हों।
इस स्कीम के तहत बनाए जाएंगे इंजन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को फिफ्थ जेनरेशन का F-35 लड़ाकू विमान देने की पेशकश की है। लेकिन भारत फ्रांसीसी विकल्प पर भी विचार कर रहा है। इसके तहत राफेल लड़ाकू विमान और M-88 इंजन को भारत में ‘आत्मनिर्भर भारत’ स्कीम के तहत बनाया जाएगा।
पहला इंजन मिलने से मिलेगी राहत
अमेरिका के अलावा फ्रांस भी भारत को फिफ्थ जेनरेशन के लड़ाकू विमान देने के लिए तैयार है। हालांकि, भारत को यह देखना होगा कि कौन सा विकल्प उसके लिए सबसे अच्छा है। दरअसल, GE-404 इंजन तेजस मार्क 1-ए विमान के लिए बेहद जरूरी है। इसकी डिलीवरी में देरी से IAF की चिंता बढ़ गई थी। अब पहला इंजन मिलने से थोड़ी राहत मिलेगी।
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