नई दिल्ली। कोरोना संकट में इकोनॉमी के पस्त होने के बाद अब कई अच्छी खबरें मिलने लगी हैं। भारत का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अक्टूबर महीने में बढ़कर 58.9 तक पहुंच गया है। यह साल 2008 के बाद अब तक का रिकॉर्ड है, जब सितंबर 2008 में यह 56.8 तक पहुंचा था। आईएचएस मार्किट सर्वे के मुताबिक बिक्री में अच्छी बढ़त की वजह से मैन्युफैक्चरिंग में अच्छी ग्रोथ हो रही है।
कोरोना लॉकडाउन में नरमी के बाद अब कंपनियां अपना उत्पादन तेजी से बढ़ाने में लगी हैं। हालांकि महंगाई का दबाव बना हुआ है, क्योंकि कच्चे माल की लागत बढ़ी है।
गौरतलब है कि इसके पहले सितंबर का मैन्युफैक्चरिंग PMI भी करीब 9 साल के उच्च स्तर पर रहा था। PMI के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां साढ़े आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। देश में मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण क्षेत्र) की गतिविधियों में सितंबर में लगातार दूसरे महीने सुधार हुआ।
IHS मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के अनुसार पिछले एक दशक में सबसे अच्छी ग्रोथ हेल्थ सेक्टर में हुई है। इस ग्रोथ का नेतृत्व इंटरमीडिएट गुड्स ने किया है, हालांकि कंज्यूमर और इनवेस्टमेंट गुड्स के उत्पादन में भी अच्छी बढ़त देखी गई है।
कोरोना लॉकडाउन में नरमी और बाजार की दशा में सुधार की वजह से अक्टूबर में उत्पादन बढ़ा है। इसी तरह बिक्री में बढ़त की दर 2008 के बाद पहली बार सबसे ज्यादा रही है। निर्यात के नए ऑर्डर तेजी से बढ़े हैं। आईएचएस मार्किट में इकोनॉमिक्स की एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियन्ना डी लिमा ने कहा, ‘नए ऑर्डर का स्तर और भारतीय विनिर्माताओं का उत्पादन लगातार कोविड-19 से प्रेरित गिरावट के स्तर से सुधर रहा है। अक्टूबर के पीएमआई आंकड़े बताते हैं कि एक महीने में बढ़त की दर ऐतिहासिक रूप में तेज रही है।’
उन्होंने कहा, ‘कंपनियों को यह भरोसा हुआ है कि अगले महीनों में बिक्री में लगातार बढ़त होगी, इसका संकेत कच्चे माल की बढ़ती खरीद से लगता है।’
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