नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधिन संगठन ईपीएफओ (EPFO) के मेंबर्स को जल्दी ही खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। ईपीएफओ 2021-22 के लिए प्रॉविडेंट फंड डिपॉजिट्स (Provident Fund Deposits) पर ब्याज (interest rate) खाता धारकों के खाते में जमा किया जा सकता है।
माना जा रहा है कि सरकार अगले महीने के अंत तक यानी 30 जून से पहले कभी भी पीएफ खाताधारकों को ब्याज का पैसा ट्रांसफर कर सकती है। वहीं कुछ खबरों में बताया जा रहा है कि ईपीएफओ दशहरा-दीपावली के फेस्टिव सीजन से पहले ब्याज का पैसा क्रेडिट कर सकता है, हालांकि, अभी इस बारे में न तो ईपीएफओ की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है, न ही सरकार ने कोई ऐलान किया है। वैसे आम तौर पर साल के अंत में पीएफ का ब्याज क्रेडिट किया जाता है। इस बार ब्याज कम होने के चलते उम्मीद की जा रही है कि ईपीएफओ क्रेडिट करने के लिए दिसंबर तक का इंतजार नहीं करेगा।
वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए EPF ब्याज दर 8.50% है
ईपीएफओ केंद्रीय न्यासी बोर्ड द्वारा वित्त मंत्रालय के परामर्श के बाद हर साल ईपीएफ ब्याज दर (EPF Interest Rates) की समीक्षा करता है। वित्तीय वर्ष के लिए ईपीएफ ब्याज दर (EPF Interest Rates) की समीक्षा उस वित्तीय वर्ष के अंत में की जाती है। यह समीक्षा जहां तक संभव हो, फरवरी में ही की जाती है, लेकिन कभी-कभी अप्रैल या मई में भी की जाती है।
बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधिन संगठन (EPFO) वित्त वर्ष 2020-21 के लिए PF पर मिलने वाला ब्याज जल्द ही खाताधारकों के अकाउंट में क्रेडिट किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, जुलाई महीने के अंत तक ब्याज को PF अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है. कुल 8.50 फीसदी का ब्याज मिलेगा. लेकिन, यह ब्याज दर पिछले 7 साल में यह ब्याज दर सबसे कम है. वित्त वर्ष 2016-17 में 8.65% ब्याज मिलता था. हालांकि, एक दौर वो भी था, जब PF पर मिलने वाला ब्याज 12% हुआ करता था. लगातार कटौती होती गई और आज ब्याज 8.50 फीसदी मिलता है. ऐसा भी नहीं है कि ये सबसे कम ब्याज दर है।
वहीं कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) एक रिटायर्मेंट योजना है जहां कर्मचारी हर महीने अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12% योगदान करता है। कंपनी/ नियोक्ता भी कर्मचारी के अकाउंट में 12% का ही योगदान करता है जिसका 8.33% हिस्सा ईपीएस में और 3.67% हिस्सा ईपीएफ में जाता है।
भारत सरकार ने 1952 में EPFO की शुरुआत की थी। यह वह दौर था, जब भारत आजादी के बाद पहली बार मजदूरों को सोशल सिक्योरिटी देने का प्रयास कर रहा था। उस वक्त EPFO के अंतर्गत 1952 एक्ट लागू किया गया। यहीं से PF पर मिलने वाले ब्याज की शुरुआत हुई, हालांकि, शुरुआत में ब्याज काफी कम था, महज 3 फीसदी से इसकी शुरुआत की गई। वित्त वर्ष 1955-56 में PF पर ब्याज दर को 3.50% तय की गई। 1963-64 में यह बढ़ते हुए 4% पर पहुंची।