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मंत्री समूह ने सपाक्स-अजाक्स के पाले में डाली ‘पदोन्नति में आरक्षण’ की गेंद

February 09, 2022

  • फिर बेनतीजा रही बैठक, गृहमंत्री ने कहा… आपस में बैठकर तय करें संगठन

भोपाल। प्रदेश में ‘पदोन्नति में आरक्षण’ का मामला सरकार की गले की फांस बना हुआ है। मामले का पटाक्षेप करने के लिए गठित की गई मंत्री समूह भी इसका समाधान नहीं निकाल पाया है। मंगलवार को हुई मंत्रियों की बैठक भी बेनतीजा रही। दोनों संगठनों के नेताओं का पक्ष जानने के बाद मंत्री समूह के अध्यक्ष गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि दोनों संगठन आपस में बैठक चर्चा करें। अब सपाक्स और अजाक्स नेताओं की बैठक 17 फरवरी को होगी। जब मंत्री समूह की बैठक चल रही थी, जब मंत्रालय में गृहमंत्री के कक्ष के बाद सपाक्स और अजाक्स के अधिकारी एवं कर्मचारियों का हुजुम उमड़ा था। प्रदेश में पिछले 6 साल से प्रमोशन पर रोक बरकरार है। हाईकोर्ट द्वारा पदोन्नति में आरक्षण नियम 2002 निरस्त करने के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में कोई स्पष्ट फैसला नहीं सुनाया और सरकारों को प्रमोशन का रास्ता निकालने को कहा। हालांकि इससे पहले राज्य सरकार ने प्रमोशन का रास्ता निकालने के लिए मंत्री समूह का गठन कर दिया था। मंत्री समूह इस संबंध में कई बार बैठक कर चुका है। हर बार बैठक में सपाक्स एवं अजाक्स के प्रतिनिधि शामिल होते रहे हैं और बैठक बेनतीजा रहीं हैं। मंगलवार को भी मंत्रि समूह इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाया है। अजाक्स के अध्यक्ष जेएन कंसोटिया ने कहा कि संविधान के अनुरूप नियम तैयार किए जाने चाहिए। इससे 3 जनवरी को बैठक हुई थी।

फैसला सुनने उमड़ी थी भीड़
मंगलवार को अधिकारी एवं कर्मचारियों को उम्मीद भी कि मंत्री समूह की बैठक में प्रमोशन का फैसला हो सकता है। इसी उम्मीद में गृहमंत्री के कक्ष के बाद बड़ी संख्या में अधिकारी एवं कर्मचारियों की भीड़ उमड़ी थी। गृहमंत्री के बैठक में पहुंचने से पहले ही सपाक्स एवं अजाक्स के अधिकारी कर्मचारी पहुंच चुके थे। जब ज्यादा भीड़ उमडऩे लगी तो फिर मंत्रालय के सुरक्षा अधिकारी ने मोर्चा संभाला था। उन्होंने अधिकारी एवं कर्मचारियों से कहा कि वे अपने कार्यस्थल पर जाएं। यहां भीड़ लगाना ठीक नहीं है। इसके बाद भी भीड़ कम नहीं हुई तो सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार को भी मोर्चा संभालना पड़ा। उन्होंने गृहमंत्री के कक्ष के बाहर जुटे कर्मचारियों से कहा कि वे यहां से जाएं। इसके बाद थोड़ी भीड़ कम हुई। हालांकि लॉबी में बैठक खत्म होने तक अधिकारी एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में बैठे रहे।



सरकार चाहती है संगठन मिलकर करें फैसला
पदोन्नति में आरक्षण का मामला फिलहाल सरकार के लिए गले की फांस बन चुका है। सरकार चाहती है कि सपाक्स एवं अजाक्स आपस में मिलकर प्रमोशन का रास्ता निकालें। सरकार अपने स्तर से किसी तरह का फैसला करके किसी भी संगठन को नाराज नहीं करना चाहती है। क्योंकि अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। सरकार नहीं चाहती कि चुनाव से पहले कोई कर्मचारी संगठन नाराज हों। यही वजह है कि सरकार का जोर अब कर्मचारी संगठनों के जरिए की प्रमोशन का समाधान निकलवाने पर है।

कोर्ट के फैसले का पालन करे सरकार: सपाक्स
सपाक्स का कहना है कि पदोन्नति नहीं होने से सबसे ज्यादा नुकसान सपाक्स के अधिकारी एवं कर्मचारियों का हो रहा है। बिना प्रमोशन के रिटायर्ड हो रहे हैं। सपाक्स के अध्यक्ष केएस तोमर ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करे। कोर्ट ने 2006 में क्रीमीलेयर का पालन करने का फैसला दिया था। कमेटी क्रीमिलेयर की शर्त लागू नहीं करेगी तो फिर से कोर्ट जाएंगे। लेकिन सरकार कोर्ट का फैसला लागू करने को तैयार नहीं है। तोमर ने कहा कि सरकार जब तक प्रमोशन का रास्ता नहीं निकाल रही है, तब तक उन अधिकारी एवं कर्मचारियों को मुआवजा दे जो प्रमोशन से वंचित हैं। सपाक्स का आरोप है कि सरकार चाहती ही नहीं है कि प्रमोशन का रास्ता निकले।

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