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    अन्नदाताओं का स्वर्णिम मध्यप्रदेश

  • February 12, 2022

    – कमल पटेल

    अन्नदाताओं की खुशहाली और बेहतरी के लिए नित नये आयाम स्थापित करता हुआ हमारा मध्यप्रदेश प्रगति का स्वर्णिम इतिहास गढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अन्नदाताओं के प्रति असीम स्नेह सरकार की योजनाओं में भी निरंतर दिखाई पड़ता है। देश का हृदयस्थल मध्यप्रदेश प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करने के लिए कृत संकल्पित रहा है। खास कर पिछले पन्द्रह महीनों में हमने देश में अग्रणी रहकर हमारे अन्नदाताओं को लाभ दिया है। बीते वर्ष खरीफ फसल 2020 व रबी फसल 2020-21 मे किसानों को प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा था जिस कारण किसानों की फसलों को नुकसान पहुँचा था। हमने रविवार को भी बैंक खुलवाकर किसानों की फसलों का बीमा करवाया। आज किसानों के चेहरों पर चमक है क्योंकि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान बैतूल में आज 49 लाख बीमा दावों की 7 हजार 6 सौ 15 करोड़ रुपयों की राशि का 49 लाख 85 हजार किसानों को भुगतान कर रहे हैं।

    किसानों को सरकारी योजनाओं की सुविधाओं के साथ बीमा का लाभ मिलने लगा तो अन्नदाताओं ने भी कृषि उत्पादन में शानदार परिणाम देकर हमारे प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। उत्पादन में वृद्धि के लिए हमने कई रचनात्मक प्रयास किए। किसानों के उत्थान के लिए भारत सरकार ने एफपीओ योजना लागू की है। इस योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के हजारों किसान लाभान्वित हों रहे हैं। प्रदेश में किसानों को निरंतर एफपीओ के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। इस योजना की मदद से किसान संगठन बनाकर कारोबारी की तरह काम कर सकते हैं। प्राकृतिक आपदाओं और मानसून की बेरूखी से होने वाले नुकसान के समय में सरकार के किसानों के साथ खड़े होने से प्रदेश का कृषि परिदृश्य लगातार बेहतर हुआ। मध्य प्रदेश के मुखिया और कृषि मंत्री दोनों ही किसान होने का ही प्रतिफल है कि आज एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (आयएएफ) में 938.84 करोड रुपए की राशि हितग्राहियों के खाते में वितरित कर मध्य प्रदेश राशि व्यय करने में प्रथम स्थान पर है।

    प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के सपनों के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गदर्शन में निरंतर कार्य कर रही है। आज मध्य प्रदेश जैविक खेती के मामले में नंबर वन स्थान पर है देश में 40% से अधिक जैविक खेती मध्यप्रदेश में हो रही है। वर्तमान में प्रदेश में 17.31लाख हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही है। जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए 99 हजार हेक्टेयर में भारतीय प्राकृतिक कृषि के क्लस्टर भी क्रियान्वित किए जा रहे हैं। खाद्यान्न फसलें, दलहन, तिलहन, सब्जियाँ तथा बागान वाली वाली फसलों के उत्पादन को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा हैं। इन सब फसलों में जैविक खेती को बढ़ावा मुख्यतः उपभोक्ता को बेहतर पोषण उपलब्ध कराने के लक्ष्य को दृष्टिगत रखकर दिया जा रहा है।

    प्रदेश सरकार किसानों के साथ कदम दर कदम हर समय खड़ी है। प्रेस में ओलावृष्टि से फसलों के नुकसान के साथ ही पशुधन के हानि पर भी मुआवजा राशि प्रदान की जा रही है। प्रदेश में ओलावृष्टि से जिन किसानों को 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है , उन्हें 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर राहत राशि देने का निर्णय लिया गया। प्रदेश में जहाँ भी ओलावृष्टि से किसानों के पशुओं की मृत्यु हुई है, उन्हें गाय-भैंस की मृत्यु पर 30 हजार रु., बैल-भैंसा की मृत्यु पर 25 हजार रु., और बछड़ा-बछड़ी की मृत्यु पर 16 हजार रु.. तथा भेड़-बकरी की मृत्यु पर 3 हजार रु. राहत राशि देने का प्रवधान किया गया है।

    मध्यप्रदेश में इस साल धान की खरीदी में रिकॉर्ड कायम हुआ है। खरीफ मार्केटिंग सीजन में 2020-21 में 37.27 लाख मिट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी। फिलहाल प्रदेश में धान की खरीदी जारी है। आशा है कि 2022 में धान खरीदी में नया कीर्तिमान बनेगा।

    प्रदेश सरकार ने विगत 15 महीने में किसानों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए वन ग्रामों के किसानों को भी राजस्व ग्रामों के किसानों के भांति ही फसल बीमा योजना का लाभ दिलाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। राजस्व ग्रामों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का दूरस्थ और गरीब किसानों को भी मिले इसे ध्यान में रखते हुए वनग्रामों को राजस्‍व ग्राम में अर्थात् पटवारी हल्‍के में शामिल किया गया है। पहले वन ग्राम राजस्‍व ग्राम में नहीं होने से तथा पटवारी हल्‍के के अन्‍तर्गत शामिल न होने के कारण वन अधिकार पट्टों पर प्राप्‍त भूमि के पट्टेधारियों को फसल हानि के मामले में फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाता था। अब सभी किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिलने लगा है।

    विगत 15 महीनों में किसानों को उपज का उचित एवं लाभकारी मूल्‍य दिलाने के लिए राज्य सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए कई सुधार किए है। चना, मसूर, सरसों का उपार्जन गेहूं के पूर्व किये जाने का महत्‍वपूर्ण निर्णय लिया गया है। गौरतलब है कि चना, मसूर और सरसों की फसल गेहूँ की फसल के पहले आती है,ऐसे में किसानों को मजबूरी में कम कीमत पर बाजार में अपनी उपज बेचना न पड़े। अत: यह निर्णय किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हुआ है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने ग्रीष्‍मकालीन मूंग को समर्थन मूल्‍य पर खरीदे जाने का निर्णय लिया जिसके कारण किसानों को उनकी उपज पर बेहतर मूल्य प्राप्‍त हुआ है। किसानों की आय को दोगुना करने आत्म-निर्भर भारत एवं आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के प्रधानमंत्री श्री मोदी और मुख्‍यमंत्री श्री चौहान के संकल्‍प को पूरा करने में इन कदमों से बड़ी मदद मिली है।

    प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों से चिन्नोर धान बालाघाट को जीआई टैग मिला है। प्रदेश के अन्य फसलों जैसे शरबती गेहूं, लाल ग्राम(चना), पिपरिया तुवर, काली मूंछ चावल, जीरा शंकर चावल और इंडिजीनस फसलों को जीआई टैग दिलाने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जा रही है।

    विगत 15 महीने के प्रयास ही है कि मध्य प्रदेश के किसानों को कृषि उत्पाद निर्यात में सुविधा प्रदान किए जाने के लिए एपीडा का क्षेत्रीय कार्यालय मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल में प्रारंभ करवाया गया है। सरकार किसानों के हित में सभी कार्य करने के लिए कृत-संकल्पित है जिससे कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत और मुख्यमंत्री श्री चौहान के आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के सपने को यथाशीघ्र साकार किया जा सके।

    (लेखक प्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री हैं)

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