नई दिल्ली। आज हम अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2024) मना रहे हैं, वह दिन जब भारत (India) ने गुलामी की बेड़ियां तोड़कर (broke the shackles of slavery) आजादी की सांस ली थी. 15 अगस्त, 1947 का वह दिन भारत के इतिहास (History of India) का सुनहरा अध्याय है. लेकिन इस खुशी में एक गहरा घाव भी था, देश का विभाजन. अंग्रेजी हुकूमत के दो सौ सालों के अत्याचारों ने भारत को तोड़ा था. लाखों बेगुनाहों ने आजादी की इस लड़ाई में अपनी जानें गंवाईं. शहीदों के बलिदानों ने ही हमें आजादी दिलाई है।
दो शताब्दियों के बाद भारत ने स्वराज्य का चखा था स्वाद
भारत 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से मुक्त हुआ था. इस साल हम अपनी आजादी का 78वां वर्षगांठ मना रहे हैं. अंग्रेजी राज के दो शताब्दियों के बाद भारत ने स्वराज्य का स्वाद चखा. हालांकि, आजादी के साथ ही देश का विभाजन भी हुआ और भारत और पाकिस्तान दो अलग देश बन गए. आजादी की इस लड़ाई में देशवासियों ने अनेक बलिदान दिए।
देशभक्तों के बलिदानों ने अंग्रेजी हुकूमत के पैरों तले की जमीन खिसका दी थी. भारत माता की आज़ादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी जानें गंवाईं. लेकिन आजादी की इस खुशी में एक गहरा घाव भी था. अंग्रेजों ने जाते-जाते भारत को दो टुकड़ों में बांट दिया. रैडक्लिफ लाइन ने लाखों लोगों के घर उजाड़ दिए और देश में अशांति फैला दी।
चल संपत्तियों को 80-20 के अनुपात में विभाजित
भारत की आजादी के लिए हुए स्वतंत्रता संग्राम में देशवासियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष किया. अंततः अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा. लेकिन भारत का विभाजन एक दर्दनाक घटना थी. सर सिरिल रैडक्लिफ द्वारा खींची गई रेखा ने भारत को दो भागों में बांट दिया. इस विभाजन के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए और हजारों लोगों की जानें गईं. रिपोर्ट के मुताबिक, सभी चल संपत्तियों को 80-20 के अनुपात में विभाजित किया गया था. इसी तरह विभाजन के बाद 1950 के दशक में पुरातात्विक अवशेषों को भी दोनों देशों के बीच बांटने की मांग की गई थी. दोनों देशों के विभाजन के दौरान जमीन, धन और सेना के अलावा जानवरों का भी बंटवारा तक किया गया था।
बग्गी पर भी दोनों देश अपना दावा
‘जॉयमोनी’ हाथी को लेकर भी विवाद हुआ था. इसके बाद पश्चिम बंगाल को कार मिली और पूर्वी बंगाल (तब का पाकिस्तान) के हिस्से में ‘जॉयमोनी’ हाथी आई थी. ठीक इसी तरह सोने की परत से चढ़ी घोड़े से खींची जाने वाली बग्गी पर भी दोनों देश अपना दावा ठोक रहे थे. इसका निर्णय टॉस करके किया गया था, जिसमें भारत ने टॉस जीतकर इस शानदार बग्गी को अपने नाम पर कर लिया था।
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