नई दिल्ली. साल 2024 (year 2024) में सोने (Gold ) ने अपनी चमक से सबको चौंका दिया. इस साल सोने ने रिटर्न (Return) देने के मामले में शेयर बाजार (Stock Market) को भी पीछे छोड़ दिया है. ग्लोबल भू-राजनीतिक उथल-पुथल, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की ब्याज दरों में कटौती ने इस साल सोने की कीमतें बढ़ाने में खास भूमिका निभाई. इससे सोने की सेफ-हेवन अपील मजबूत हुई है, जिससे इसके दाम बढ़े हैं.
आंकड़ों के मुताबिक 2024 में सोने ने 27 फीसदी रिटर्न दिया है, जो निफ्टी 50 और एसएंडपी 500 से भी ज्यादा है. सोने के प्राइस ने अक्टूबर में 2 हजार 788.54 डॉलर प्रति औंस का नया रिकॉर्ड बनाया था.
दमदार साल रहा 2024
इस तरह से 2024 में गोल्ड ने 2010 के बाद सबसे मजबूत प्रदर्शन किया है. बाजार एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2025 में भी सोने में इसी तरह की तेजी बनी रह सकती हैं. UBS ने 2025 के आखिर तक सोने के दाम 2900 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने का अनुमान लगाया है, जबकि सिटीग्रुप और गोल्डमैन सैश इसे 3 हजार डॉलर तक पहुंचता देख रहे हैं.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का भी कहना है कि 2025 में स्थिर मांग की संभावना है. आंकड़ों की जुबानी इस साल के रिकॉर्ड्स की बात करें तो तीसरी तिमाही में सोने की कुल मांग पहली बार 100 अरब डॉलर के पार निकल गई. वहीं केंद्रीय बैंकों ने लगातार 15वें साले सोने की नेट खरीद की है.
मिडल ईस्ट, यूक्रेन और सीरिया में भू-राजनीतिक तनाव ने सोने को निवेश का सुरक्षित विकल्प बना दिया. इसके साथ ही, भारतीय बाजार में सोने की मांग स्थिर बनी हुई है, जबकि चीन में ये आर्थिक विकास की गति से तय होगी.
2025 में सोने की बढ़ेगी चमक?
हालांकि, एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि 2025 में सोने को इक्विटी और रियल एस्टेट (Real Estate) से कड़ी चुनौती मिल सकती है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का कहना है कि अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर रहती है, तो सोना सीमित दायरे में ही कारोबार करेगा.
इसके अलावा ब्याज दरों में बढ़ोतरी से निवेश की मांग पर सीधा असर हो सकता है. भारत के नजरिए से बात करें तो देश में गोल्ड की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. नवंबर के ट्रेड डेटा के मुताबिक नवंबर में सोने के आयात में चार गुना बढ़ोतरी हुई है, जिससे देश का व्यापार घाटा 37.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.
हालांकि वाणिज्य मंत्रालय और CBIC इस आंकड़े की जांच कर रहे हैं. दूसरी तरफ अगली चुनौती ट्रंप के सत्ता में आने के बाद शुरू होने वाले संभावित टैरिफ वॉर की है. वैसे जानकारों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध का भारत पर सीमित असर होगा. लेकिन इस बीच, फेडरल रिजर्व और यूरोपीय केंद्रीय बैंकों की ब्याज दरों में कटौती सोने की कीमतों को फिर भड़का सकती है. ऐसे में नए साल में निवेशकों की नजरें इस बात पर टिकी होंगी कि आखिर सोने का ये बुल रन कब तक जारी रहेगा.
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