नई दिल्ली। पिछले सत्र में तेज गिरावट के बाद आज भारत में सोने की वायदा कीमत में उछाल आया, वहीं चांदी की कीमत कम हुई। एमसीएक्स पर सोना वायदा 0.16 फीसदी बढ़कर 50,845 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। जबकि चांदी वायदा 0.1 फीसदी घटकर 62,551 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। पिछले सत्र में, सोना 1.11 फीसदी गिर गया था और चांदी 1.5 फीसदी सस्ती हुई थी। वैश्विक बाजारों में आज सोने की कीमतें स्थिर थीं क्योंकि निवेशकों ने वाशिंगटन में विकास देखा, जहां अमेरिकी सांसदों ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए प्रोत्साहन पैकेज की दिशा में काम करना जारी रखा।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इतना रहा दाम
पिछले सत्र में एक फीसदी से अधिक फिसलने के बाद हाजिर सोना 0.1 फीसदी बढ़कर 1,905.65 डॉलर प्रति औंस हो गया था। अन्य कीमती धातुओं में चांदी 0.8 फीसदी गिरकर 24.56 डॉलर प्रति औंस पर आ गई, जबकि प्लैटिनम 0.4 फीसदी गिरकर 880.94 डॉलर हो गया। हालांकि उच्च अमेरिकी डॉलर ने सोने में वृद्धि को सीमित रखा। डॉलर इंडेक्स 0.08 फीसदी बढ़कर 93.037 पर था, जिससे अन्य मुद्राओं के धारकों के लिए सोना महंगा हो गया।
यूएस हाउस के स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने गुरुवार को कहा कि नए कोरोना वायरस राजकोषीय सहायता पैकेज पर व्हाइट हाउस के साथ बातचीत जारी है और जल्द इस दिशा में सौदा हो सकता है। लेकिन व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने आगाह किया कि अब भी चुनाव से पहले महत्वपूर्ण नीतिगत मतभेद हल होने की संभावना नहीं है।
आनंद राठी शेयर एंड शेयर ब्रोकर्स के रिसर्च एनालिस्ट- कमोडिटीज फंडामेंटल, जिगर त्रिवेदी ने कहा कि, ‘निवेशकों की नजर अमेरिका के प्रोत्साहन पैकेज पर है, क्योंकि इससे सोने की कीमत पर प्रभाव डलता है। जब भी अमेरिकी प्रोत्साहन पर सकारात्मक खबर आती है, डॉलर गिर जाता है।’ ईटीएफ डाटा निवेशकों की रुचि को दर्शाता है। दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड समर्थित एक्सचेंज ट्रेडेड-फंड (ईटीएफ), एसपीडीआर गोल्ड ट्रस्ट की होल्डिंग बुधवार को 0.1 फीसदी गिरकर 408 लाख औंस हो गई।
त्योहारी सीजन में बढ़ेगी मांग
भारत में इस साल वैश्विक स्तर के अनुरूप सोने की कीमतें 25 फीसदी बढ़ी हैं। विश्लेषकों को उम्मीद है कि अमेरिकी डॉलर और सामान्य बाजार जोखिम धारणा में तेजी के आधार पर सोने की कीमत में गिरावट बनी रहेगी। विश्लेषकों के उम्मीद जताई कि भारत में सोने की मांग त्योहारी सीजन में बढ़ेगी। सोना व्यापक प्रोत्साहन उपायों से प्रभावित होता है क्योंकि इसे व्यापक रूप से मुद्रास्फीति और मुद्रा में आई गिरावट के खिलाफ बचाव के रूप में देखा जाता है।
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