इंदौर। औद्योगिक, एजुकेशन हब और मिनी मुंबई के नाम से जाना जाने वाला इंदौर आजादी के पहले से मेडिकल फैसिलिट, इसके लिए जाना जाता रहा है। आजादी के पहले के नक्शे की बात करें तो इंदौर में मेडिकल सुविधाएं नजर आती हैं, जो इंदौर को सबसे अलग बनाती है। कुछ ऐसे ही फैक्ट और इतिहास से आज सुबह विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर एक इंस्टिट्यूट के स्टूडेंट्स रूबरू हुए। इस विशेष हेरिटेज वॉक आयोजन स्मार्ट सिटी ने किया।
स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने और स्कूल-कॉलेज के छात्रों को इंदौर की इमारतों के इतिहास से रूबरू कराने के लिए स्मार्ट सिटी हेरिटेज वॉक का आयोजन करती रही है। बारिश के कारण बंद हुई हेरिटेज वॉक एक बार फिर जल्द ही शुरू होगी, तो छात्र राजवाड़ा और इंदौर की ऐतिहासिक इमारतों और इंदौर के इतिहास से रूबरू हो सकेंगे, तो राजवाड़ा और गोपाल मंदिर के जीर्णोद्धार में इस्तेमाल की गई तकनीकों को भी जान सकेंगे।
आज सुबह शुरू हुई हेरिटेज वॉक में शहर के इतिहासकार जफर अंसारी ने छात्रों से बात की। यह हेरिटेज वॉक शिव विलास पैलेस से शुरू होकर राजवाड़ा, गोपाल मंदिर, मार्तंड मंदिर, कृष्णपुरा छत्री होते हुए बोलिया सरकार की छत्री पर समाप्त हुई। डीएसआईएफडी (डिजाइन सॉल्यूशन इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन एंड इंटीरियर डिजाइन) के 50 से ज्यादा छात्र और फैकल्टी इसमें शामिल हुए और कई सवाल भी किए।
छात्रों ने देखा 1818 का अखबार
राजवाड़ा के इतिहास को जानने से पहले इंस्टिट्यूट के छात्रों ने 1818 के अखबार और आजादी से पहले के इंदौर से जुड़े नक्शों को देखा। इतिहासकार अंसारी ने न केवल राजवाड़ा से जुड़ी और होलकरकालीन सभ्यता से जुड़ी जानकारी दी, बल्कि ईस्ट इंडिया कंपनी के यहां आने की कहानी से भी छात्रों को रूबरू कराया। डिजाइनिंग के छात्रों ने इंदौर के सबसे पहले ब्रिज निर्माण की कहानी भी सुनी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved