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    Godrej: ताला-चाबी से शुरुआत… फिर अंग्रेजों के लिए बनाई तिजोरी, ऐसा रहा चांद तक पहुंचने का सफर

  • May 02, 2024

    नई दिल्ली (New Delhi)। गोदरेज (Godrej) का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है, ये नाम सुनते ही जेहन में सबसे पहले तिजोरी और अलमारी (Safe and cupboard) आने लगता है. ऐसा हो भी क्यों ना इस कारोबारी ग्रुप (Godrej Group) ने शुरुआत ही लोगों के सामान की सुरक्षा के मद्देनजर ताला और चाबी (lock and key) बनाने से की थी और फिर अंग्रेजों के लिए तिजोरी बनाते-बनाते आज इस ग्रुप का नाम चांद तक जा पहुंचा है। भारत के चंद्रयान मिशन (Chandrayaan Mission) में इसका बड़ा रोल रहा है. 127 साल के कारोबारी इतिहास पर नजर डालें तो कई ऐसी चीजें हैं, जो देश को पहली बार इस गोदरेज ग्रुप से ही मिली हैं। आइए जानते हैं इसके दिलचस्प सफर के बारे में विस्तार से…


    90 देशों में कारोबार, इतनी है मार्केट वैल्यू
    ताला-चाबी हो या फिर अलमीरा या तिजोरी, यहीं नहीं साबुन से लेकर लग्जरी फ्लैट तक गोदरेज ग्रुप का कारोबार फैला है. आज ये ग्रुप बंटवारे को लेकर चर्चा में, जी हां देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में शामिल Godrej Family में बंटवारा हो गया है और दुनिया के 90 देशों में फैला कारोबार दो हिस्सों में बंट गया है. एक हिस्सा आदि गोदरेज और नादिर गोदरेज को मिला है, जबकि दूसरा हिस्सा उनके चचेरे भाई जमशेद गोदरेज और बहन स्मिता को दिया गया है. इस समझौते के तहत ग्रुप की सभी पांच लिस्टेड कंपनियां Adi Godrej-Nadir Godrej को मिली हैं, जबकि जमशेद-स्मिता को नॉन लिस्टेड कंपनियां और लैंड बैंक मिला है. गोदरेज ग्रुप की मार्केट वैल्यू करीब 2.36 लाख करोड़ रुपये है।

    1897 में रखी गई थी गोदरेज की नींव
    Godrej Group की स्थापना भारत को आजादी मिलने से पहले साल 1897 में आर्देशर गोदरेज और उनके भाई पिरोजशा गोदरेज द्वारा की गई थी. उन्होंने सबसे पहले सर्जरी ब्लेड (Surgery Blade) बनाने से की थी, लेकिन ये ज्यादा चल नहीं सका. इसके बाद देश में आए दिन घरों में चोरी की घटनाएं बढ़ने की खबरों को देख आर्देशर गोदरेज के मन में सुरक्षा की दृष्टि से कुछ नया करने का आइडिया आया और ये ताला-चाबी बनाने का था. हालांकि, उस समय भी ताला-चाबी बनाए जाते थे, लेकिन Godrej ने अपने लॉक्स को और ज्यादा मजबूत बनाकर पेश किया. अपने भाई के साथ उन्होंने इस कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग बड़े स्तर पर शुरू कर दी और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

    अंग्रेजों को भी था गोदरेज पर भरोसा
    ताले-चाबी बनाते बनाते उन्होंने अपने कारोबार का विस्तार किया और Godrej नाम से मजबूत तिजोरियां बनाना स्टार्ट कर दिया, जिन्होंने उस समय भारत पर राज करने वाले अंग्रेजों को भी फैन बना दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोदरेज कंपनी की तिजोरियों पर अंग्रेजों को भी पूरा भरोसा था. साल 1911 में किंग जॉर्ज पंचम और रानी मेरी ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान अपने कीमती सामानों को रखने के लिए गोदरेज की तिजोरियों को ही चुना था. जब देश में स्वदेशी आंदोलन जोरों पर था, तब कंपनी के संस्थापक आर्देशर गोदरेज भी इससे जुड़े थे।

    Godrej ने पहली बार भारत को दीं ये चीजें
    Tata Group की तरह ही गोदरेज ग्रुप ने भी देश को कई चीजें पहली बार दी हैं. भारत को आजादी मिलने के बाद जब साल 1951 में देश में पहला लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) हुआ था, तो Godrej ने ही पहला बैलेट बॉक्स बनाया था, जिसमें देश की जनता अपने मत डालती थी. सिर्फ बैलेट बॉक्स ही नहीं, बल्कि पहला पूरी तरह से भारतीय टाइपराइटर बनाने का श्रेय भी गोदरेज को ही जाता है, जिसे Godrej ने Boyce के साथ मिलकर 1955 में बनाकर पेश किया था. गोदरेज ही पहली ऐसी भारतीय ऐसी कंपनी थी, जिसने 1958 में देश में फ्रिज बनाया था।

    आदि गोदरेज के आने के बाद बुलंदियों को छुआ
    गोदरेज के बढ़ते कारोबार को पंख तब लगे जब बदला आदि गोदरेज (Adi Godrej) ने men 1963 में Godrej Industries एंट्री मारी और काम करने के पुराने ढर्रे को बदलने की शुरुआत की. दरअसल, अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा ढर्रा ही कंपनी में चल रहा था और कारोबार विस्तार के साथ ही आदि गोदरेज के सामने सबसे बड़ी चुनौती गोदरेज कंपनी को समय के साथ आधुनिक बनाने की भी थी. अमेरिका के MIT से बिजनेस मैनेजमेंट पढ़कर लौटे आदि गोदरेज ने कंपनी की ब्रांड इमेज के साथ एक इमोशनल कनेक्ट जोड़ते हुए अपने कदमों को आगे बढ़ाया. देखते ही देखते कंपनी बुलंदियों पर पहुंच गई।

    आज Godrej Group की पांच कंपनियां शेयर बाजार (Stock Market) में लिस्टेड हैं. इनमें गोदरेज इंडस्ट्रीज (Godrej Industries), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (Godrej Consumer Products), गोदरेज प्रोपर्टीज (Godrej Properties), गोदरेज एग्रोवेट (Godrej Agrovet) और एस्टेक लाइफ साइंसेज (Astech Life Sciences) शामिल हैं. एयरोस्पेस सेक्टर में भी कंपनी लगातार विस्तार कर रही है।

    Chandrayaan-3 की सफलता में रोल
    गोदरेज एयरोस्पेस का भारत के मून मिशन से भी गहरा कनेक्शन रहा है. साल 2008 में चंद्रयान-1 के लिए लॉन्च व्हीकल और लूनर ऑर्बिटर तैयार किया था, तो वहीं चंद्रयान 2 के लिए भी उपकरण मुहैया कराए थे. हालांकि, ये सफल नहीं हो सका था, लेकिन बीते साल 2023 में भारतीय मून मिशन को सफलता मिली थी, जब Chandrayaan-3 ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की थी. इस सफलता में भी गोदरेज का योगदान शामिल रहा, दरअसल, चंद्रयान-3 मिशन में कंपनी ने कई जरूरी पार्ट्स तैयार किए हैं।

    यान के रॉकेट इंजन और थ्रस्टर को गोदरेज एयरोस्पेस द्वारा बनाया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चंद्रयान का विकास इंजन, CE20 और सैटेलाइट थ्रस्टर्स (Satellite Thrusters) को गोदरेज एयरोस्पेस की मुंबई स्थित विक्रोली फैसिलिटी (Vikhroli facility) में तैयार किया गया है. इसके साथ ही इसके अलावा मिशन के कोर स्टेज के लिए L110 इंजन का निर्माण भी गोदरेज कंपनी द्वारा ही किया गया है।

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