– आर.के. सिन्हा
अब गोवा के करीब आता जा रहा है कश्मीर। हो सकता है कि यह बात अविश्सनीय लगे, पर सच तो यही है। कश्मीर घाटी से हजारों लोगों का गोवा घूमने के लिए जाना बताता है कि दोनों राज्य करीब आ रहे हैं। ये दोनों राज्य न केवल भारत बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में शामिल हैं। गोवावासी तो लंबे समय से छुट्टियां बिताने कश्मीर जाते ही रहे हैं, लेकिन कुछ साल पहले तक कश्मीरियों के लिए ऐसा सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था। हालात अब तेजी से बदल रहे हैं और घाटी के लोग बड़ी तादाद में छुट्टियां बिताने गोवा जा रहे हैं। दिल्ली-गोवा फ्लाइट में सफर करने वाले इसे आसानी से समझ सकते हैं। अगर आपने हाल के दौर में कभी राजधानी के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गोवा का सफर किया है तो आपने कश्मीरियों को सपरिवार गोवा जाते देखा ही होगा। इससे इस बात की पुष्टि भी होती है कि कभी अशांत रहे कश्मीर की फिजा अब तेजी से बदल रही है। श्रीनगर की अपनी हालिया यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा भी था कि अब कश्मीर आर्थिक रूप से बदल रहा है।
कश्मीर के लोगों ने जिस गर्मजोशी से उनका स्वागत किया, कुछ साल पहले तक यह अकल्पनीय था। प्रधानमंत्री ने श्रीनगर के बख्शी मैदान में आयोजित रैली में कहा, ”मैं आपका दिल जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं।” कश्मीरियों के छुट्टियां मनाने गोवा जाने के पीछे बड़ी वजह कश्मीर घाटी में शांति और स्थिरता भी है। चूंकि श्रीनगर से गोवा के लिए सीधी उड़ान नहीं है, इसलिए कश्मीरियों को पहले दिल्ली जाना पड़ता है। दिल्ली से वह गोवा के लिए फ्लाइट पकड़ते हैं। जब कश्मीर में हाड़ कंपाने वाली ठंडी पड़ती है, तो वह गोवा का रुख करने लगे हैं। आप कह सकते हैं कि कश्मीरियों को गोवा घूमने और रहने के हिसाब से नवंबर से जनवरी तक का महीना मुफीद लगता है।
अन्य पर्यटकों की तरह ही कश्मीरियों को भी गोवा का खुशनुमा और समावेशी समाज आकर्षित करता है। गोवा के कलंगुट, बागा, अंजुना और कैडोलिम सरीखे प्रसिद्ध समुद्र तटों पर कश्मीरियों की भीड़ को आसानी से देखा जा सकता है। यदि आप गोवा में कश्मीरी पर्यटकों से बात करेंगे तो वे निश्चित रूप से आपको दो बातें बताएंगे। पहला,वे घाटी की लंबे समय की अशांति से थके हुए थे। अब जैसे-जैसे उनके राज्य में चीजें बेहतर होती जा रही हैं, वे विकास के साथ-साथ शांति का भी अनुभव कर रहे हैं। वे गोवा को आराम करने के लिहाज से एक बेहतर जगह मानते हैं।
दूसरा, कश्मीरी पर्यटक गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की जमकर तारीफ करते मिलेंगे। कश्मीरियों का कहना है कि गोवा सरकार के गंभीर प्रयासों से पर्यटकों के हितों का ख्याल रखा जा रहा है। सरकार की कार्यनीति के कारण गोवा आने वाले पर्यटक अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं। यह गोवा सरकार की बहुत बड़ी प्रशंसा है। गोवा सरकार अब ‘क्वालिटी टूरिस्ट्स’ यानी ज्यादा से ज्यादा खर्च करने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। गोवा के ऊर्जावान मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने हाल ही में कहा भी था कि उनकी सरकार गोवा में क्वॉलिटी टूरिस्ट को आकर्षित करने के लिए कई कदम उठा रही है। ऐसे पर्यटकों से होटल मालिकों से लेकर टैक्सी आपरेटरों तक सबका लाभ होगा। उन्होंने कहा, “अगर हम क्वॉलिटी टूरिस्ट चाहते हैं तो हमें सुविधाएं भी वैसी ही प्रदान करनी होंगी। गोवा में वैसे तो पूरे साल भर पर्यटक आते ही रहते हैं, लेकिन,अक्टूबर के पहले सप्ताह से पर्यटकों की जो संख्या बढ़ती है वो क्रिसमस, नववर्ष तक पीक पर पहुंच जाती है। पर्यटकों का आना मई महीने तक लगातार जारी रहता है। गोवा में हर साल लगभग 80 लाख पर्यटक आते हैं, जिनमें बड़ी संख्या विदेशी सैलानियों की भी होती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि गोवा की विकास यात्रा में बीता साल यानी 2023 बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि तब जी-20 शिखर सम्मेलन के तहत गोवा में कई अहम बैठकें हुईं। यही नहीं गोवा ने पर्यटन पर केंद्रित जी-20 के मंत्रियों के एक अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम की भी मेजबानी की थी, जिसने पर्यटन सेक्टर के एक मंजे हुए खिलाड़ी के रूप में गोवा को ख्याति दिलाई। यह आयोजन वैश्विक आर्थिक मामलों के बारे में चर्चा में शामिल होने वाले अंतरराष्ट्रीय नेताओं और नीति निर्माताओं के एकीकरण का प्रतीक बना। इस आयोजन ने न केवल क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता बल्कि वैश्विक पर्यटन को आकार देने में इसकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला। यह खरी बात है कि भारत की अध्यक्षता में संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन का गोवा के पर्यटन पर सकारात्मक प्रभाव तो पड़ा ही। यह पिछले दो वर्षों में गोवा में विदेशी पर्यटकों की बढ़ोतरी के रूप में देखा जा सकता है।
असल में जी20 शिखर सम्मेलन के बाद कई एयरलाइंस अब गोवा के लिए सीधी उड़ानों को शुरू करने पर विचार कर रही हैं। एक बार प्रसिद्ध क्रिकेट लेखक और कमेंटेटर स्वर्गीय टोनी कोजियर ने सही ही कहा था कि गोवा के लुभावने समुद्र तट और यहां का जीवन किसी को भी आकर्षित कर सकता है। अपने देश में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड और बर्फीले वातावरण से इतर गोवा का खुला आसमान और तेज धूप की वजह से ही यहां बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी आते हैं। गोवा आकर समुद्र तट के किनारे धूप सेंकना विदेशी सैलानियों को पसंद है। यह उनकी अत्यधिक दूधिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। समुद्र तट के किनारे स्वादिष्ट नारियल पानी, मधुर संगीत और लाजवाब समुद्री भोजन की सुगंध पर्यटकों को खींच लाती है। ये लोग समुद्र तटों के पास घूमते हैं। सड़कों पर खरीदारी करते और खाना खाते हैं। उन्हें बहुत कम महंगी जगहों या फास्ट फूड दुकानों में झुंड के झुंड में जाते हुए देखा जा सकता है। उन्हें गोवा की खूबसूरती का आनंद उठाना पसंद है।
भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले गोवा आसानी पहुंचा भी जा सकता है। परिवहन सुविधाओं की सुगमता के कारण भी विदेशी पर्यटक गोवा में अधिक समय गुजारते हैं, इसे पसंद करते हैं। विदेशी सैलानियों की तरह ही हमारे अपने कश्मीरियों को भी यहां की चमकदार धूप पसंद है। जब उनका अपना कश्मीर सर्दियों में अत्यधिक ठंडा रहता है तो उन्हें सचमुच गोवा में राहत मिलती है। इसलिए, वे अब बार-बार गोवा आना पसंद करने लगे हैं। रूसी पर्यटक भी हर साल बड़ी संख्या में गोवा आते हैं। गोवा में जिस समय गर्मी पड़ती है, रूस में उस समय कड़ाके की सर्दी होती है। इस वजह से भी रूसी यहां आराम करने आते हैं। अब आपको गोवा में रूसी भाषा में बहुत सारे साइनबोर्ड, रेस्तरां और स्टोर के नाम लिखे मिल जाएंगे। इससे उनके लिए घूमना-फिरना आसान हो जाता है। कुल मिलाकर बात यह है कि अगर गोवा में सारे भारत से पर्यटक आते हैं, तो इसका श्रेय गोवा सरकार को भी देना होगा, जिसने अपने राज्य को पर्यटकों का स्वर्ग बना दिया है। गोवा के मॉडल पर अन्य राज्यों को चलकर देश के पर्यटन क्षेत्र को मजबूती देनी होगी। यह बात हमेशा याद रखी जानी चाहिए कि किसी भी प्रदेश या देश की खुशहाली का रास्ता पर्यटन सेक्टर से ही होकर गुजरता है।
(लेखक, वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)
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