नई दिल्ली (New Delhi)। वैश्विक स्तर पर बढ़ता तापमान (Rising global temperature) नित नए रिकॉर्ड (new records) बना रहा है। जुलाई में अल-नीनो (al Nino) के आगाज के साथ ही बढ़ते तापमान ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। इस बारे में अमेरिका (America) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्रिडिक्शन (एनसीईपी) (National Center for Environmental Prediction – NCEP) के आंकड़ों के मुताबिक 4 जुलाई, 2023 को अब तक का सबसे गर्म दिन दर्ज किया था। जब वैश्विक औसत तापमान 17.18 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। बढ़ते तापमान की यह प्रवत्ति पांच जुलाई 2023 को भी जारी रही। इससे पहले तीन जुलाई 2023 को औसत तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। मतलब की जुलाई 2023 के शुरुआती सप्ताह में ही लगातार तीन दिनों से वैश्विक औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है।
वैज्ञानिकों के अनुसार इस बढ़ती गर्मी के लिए अल-नीनो और बढ़ता उत्सर्जन जिम्मेवार है। इस सप्ताह से पहले अगस्त 2016 में अब तक का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया था। जब वैश्विक औसत तापमान 16.92 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। 2016 में भी अल-नीनो की घटना दर्ज की गई थी।
लू-सूखे जैसी घटनाएं बढ़ेंगी
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) चार जुलाई 2023 से भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल-नीनो की घटना के आगाज की घोषणा कर चुका है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर वातावरण और समुद्र के औसत तापमान में होती वृद्धि के साथ लू, सूखे जैसी चरम मौसमी घटनाएं बढ़ेगी, जिनपर नजर रखने की जरूरत है। प्रमुख वैज्ञानिक रोबर्ट रोहडे ने ट्विटर पर जानकारी दी है कि अगले छह सप्ताह में कुछ और गर्म दिन देख सकते हैं।
अल-नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) घटना का अधिक गर्म चरण है, जिसके दौरान भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान (एसएसटी) जिसे नीनो 3.4 के रूप में जाना जाता है, वो औसत से 0.5 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक गर्म हो जाता है।
जलवायु परिवर्तन बड़ा खतरा
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्लूईएफ) की हाल ही जारी ‘ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट’ ने माना था कि जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। दुनिया में करीब 360 करोड़ लोग ऐसे क्षेत्रों से हैं जो जलवायु परिवर्तन के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील हैं।
अमेरिका के नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने आशंका जताई थी कि इस साल जून-जुलाई-अगस्त के बीच अल-नीनो के घटने की 90 फीसदी सम्भावना है। आमतौर पर देखा जाए तो अल-नीनो बनने के एक वर्ष के भीतर वैश्विक तापमान में वृद्धि दर्ज की जाती है। तापमान में हर दिन होती वृद्धि के साथ बारिश के पैटर्न में बदलाव और ध्रुवों पर घटती बर्फ, स्पष्ट इशारा करती है कि पृथ्वी तेजी से गर्म हो रही है। ऐसे में बढ़ते उत्सर्जन पर अभी से लगाम न लगाई तो भविष्य में स्थिति कहीं ज्यादा बदतर हो सकती है।
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