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    Global Warming: धीरे-धीरे भट्टी में तब्दील हो रहे धरती, मानव सभ्‍यता के लिए खतरा!

  • November 15, 2023

    वाशिंगटन (Washington)। दुनिया भर में लगातार होते कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) की वजह से बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) आने वाले दशक में मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरने वाली है. धीरे-धीरे भट्टी में तब्दील हो रहे धरती के वातावरण में अगर सदी के अंत तक दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होती है तो सदी के मध्य तक गर्मी से होने वाली वार्षिक मौतों में 370 फीसदी की वृद्धि हो सकती है. यह मौजूदा संख्या से 5 गुना होगा, जो डराने वाला है.

    विज्ञान पत्रिका द लांसेट ने मंगलवार (14 नवंबर) को एक स्टडी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह दावा किया गया है. इसके मुताबिक, पूरी दुनिया में इस बात के लिए प्रयास किया जाना चाहिए कि सदी के अंत तक समग्र तापमान में किसी भी हाल में महज डेढ़ डिग्री सेल्सियस से अधिक की बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए. यह लांसेट पत्रिका की आठवीं वार्षिक रिपोर्ट है जो स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर जारी की गई है.

    लू के कारण दुनिया भर में बढ़ रही मौतों की संख्या
    लैंसेट काउंटडाउन के कार्यकारी निदेशक मरीना रोमानेलो ने यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में एक बयान में कहा, “हमारे स्वास्थ्य स्टॉकटेक से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे की वजह से आज दुनिया भर में अरबों लोग जीवन और आजीविका की कीमत चुका रहे हैं. 2 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्मी दुनिया के एक खतरनाक भविष्य को दर्शाते हैं. यह दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए प्रयासों के अपर्याप्त होने को भी दर्शाते हैं.”



    हर सेकंड 1337 टन कार्बन उत्सर्जन
    उन्होंने कहा, “अभी भी पूरी दुनिया में प्रति सेकंड 1,337 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हो रहा है. हम इतनी तेजी से उत्सर्जन में कमी नहीं कर पा रहे हैं कि जलवायु संबंधी खतरों को उस स्तर के भीतर रख सकें जिससे हमारी सेहत बेहतर बनी रहे.”

    अभी भी उम्मीद की गुंजाइश
    रोमनेलो ने बयान में कहा, “अभी भी उम्मीद की गुंजाइश है. अगर पूरी दुनिया कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए टाइप प्रावधानों का पालन करती है तो वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की पेरिस समझौते की महत्वाकांक्षाएं अभी भी प्राप्त की जा सकती हैं. इससे हमारा भविष्य बेहतर होगा.

    WHO के साथ मिलकर 52 संस्थाओं ने किया है रिसर्च
    यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में यह विश्लेषण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) सहित दुनिया भर के 52 अनुसंधान संस्थानों ने किया है. यह संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के 114 प्रमुख विशेषज्ञों के काम का प्रतिनिधित्व करता है, जो स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंधों के आंकलन का नवीनतम अपडेट प्रदान करने वाला है.”

    28वें संयुक्त राष्ट्र कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी) से पहले प्रकाशित, विश्लेषण में 47 बिंदुओं में सिलसिलेवार तरीके से आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं. इनमें नए और बेहतर मेट्रिक्स शामिल हैं जो घरेलू वायु प्रदूषण, जीवाश्म ईंधन के वित्तपोषण और जलवायु शमन के स्वास्थ्य सह-लाभों पर अंतरराष्ट्रीय संगठनों के एक दूसरे से जुड़ाव की निगरानी करते हैं.

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