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    Global Warming: ग्लेशियर पिघलने से बाहर निकले प्राचीन वायरस

  • February 13, 2024

    वाशिंगटन (Washington.)। ग्लोबल वॉर्मिंग (global warming) की वजह से पूरी दुनिया में गर्मी बढ़ रही है, जिसकी वजह से ग्लेशियर पिघल रह रहे हैं। तिब्बत में स्थित ग्लेशियर (glacier) भी तेजी से पिघल रहे हैं। यहां पर 15 हजार साल पुराना वायरस मिला है, जो भारत, चीन और म्यांमार के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इन प्राचीन वायरस के संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। पूरी दुनिया में पर्माफ्रॉस्ट पिघलने से प्राचीन जीव, वायरस, बैक्टीरिया जैसी चीजें बाहर आ रही हैं।

    ग्लेशियरों और पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने की वजह से वूली राइनो (Woolly Rhino) से लेकर 40 हजार साल पुराने विशालकाय भेड़िये और 7.50 लाख साल पुराने बैक्टीरिया के निकलने की जानकारी मिली है। इनमें से कई मरे नहीं है। वैज्ञानिकों ने सदियों पुराने मॉस में लैब के अंदर वापस जीवन डाला है। यह बेहद छोटे हैं और 42 हजार साल पुराने राउडवॉर्म हैं।

    वैज्ञानिकों ने हाल ही में तिब्बत के पठारों पर स्थित गुलिया आइस कैप के पास 15 हजार साल पुराना वायरस खोजा है। यह कई प्रजातियों के हैं, जिनकीं संख्या दर्जनों में है। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट झी-पिंग झॉन्ग ने यह इंसानों के लिए किसी भी वक्त खतरा पैदा कर सकते हैं।



    चीन में समुद्री सतह से 22 हजार फीट की ऊंचाई पर तिब्बत के पिघलते ग्लेशियर के नीचे यह वायरस मिले हैं। वैज्ञानिकों ने 33 वायरस की खोज की है, जिनमें 28 के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। यह पहले कभी नहीं देखे गए हैं और इनके संक्रमण का कोई इलाज नहीं हो सकता है। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के दूसरे वैज्ञानिक मैथ्यू सुलिवन ने बताया कि इन वायरसों ने अपना जीवन चरम स्थितियों में बिताई है। अब यह किसी भी तरह के तापमान या मौसम को झेल सकते हैं।

    यहां पर हजारों फीट ऊंचाई पर मिले वायरस
    मैथ्यू ने बताया कि इनके जीन्स का अध्ययन किया गया है जिससे पता है कि इनके लिए किसी भी तरह का चरम मौसम सामान्य है। इससे पहले तिब्बत के ग्लेशियर में बैक्टीरिया के मिलने की जानकारी मिली थी। यह इतनी तेजी से हो रहा है जिसकी वजह से इंसानों के सामने कठिन भविष्य का संकट खड़ा है। इंसानों को मौसम ही नहीं बल्कि इस तरह के खतरों से जूझना पड़ेगा।

    यहां पर हजारों फीट ऊंचाई पर मिले वायरस
    बीते साल तिब्बत के ग्लेशियरों में बैक्टीरिया की 1000 नई प्रजातियां खोजी गई थीं। इनमें से सैकड़ों के बारे में वैज्ञानिक कुछ नहीं जानते हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से यह ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। यह पिघलते हैं, तो इनका पानी बैक्टीरिया के साथ चीन और भारत की नदियों में मिलेगा। इस पानी को पीकर लोग नई बीमारियों से संक्रमित हो सकते हैं।

    यहां पर हजारों फीट ऊंचाई पर मिले वायरस
    यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों द्वारा तिब्बती पठारों पर मौजूद 21 ग्लेशियरों का सैंपल जमा किया गया था। यह सैंपल 2016 से 2020 के बीच लिए गए थे, जिनमें 968 प्रजातियों के बैक्टीरिया मिले। इनमें 82 फीसदी बैक्टीरिया एकदम नए हैं। इनके बारे में दुनियाभर के वैज्ञानिकों को कोई जानकारी नहीं है।

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