नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन World Health Organization(WHO) और वर्ल्ड बैंक (World Bank) की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 (COVID-19) ने न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं (health services) को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है. बल्कि वैश्विक प्रगति को भी दो दशक पीछे धकेल दिया है. रिपोर्ट की मानें तो कोविड-19(COVID-19) जैसी महामारी (Pandemic) ने आमजन के जीवन को काफी नुकसान पहुंचाया है. लिहाजा उनकी भुगतान करने की क्षमता प्रभावित हुई है. इससे वह दूसरी बीमारियों से लड़ने में भी कमजोर हुए हैं.
दोनों संगठनों की रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 (COVID-19) ने 1930 के दशक के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट (worst economic crisis) के हालात पैदा किए हैं. कोविड से बचाव के लिए लोगों ने जो खर्च किया है इससे वह गरीबी की ओर बढ़ गए हैं. इस महामारी ने आमजन को दोहरी मार दी है. पहली तो स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान पहुंचा. दूसरा उनकी आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई. रिपोर्ट की मानें तो लोगों ने दवाओं औऱ अन्य जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जो भुगतान किया है, उससे करीब आधा अरब लोगों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड को कारण अन्य बीमारियों से लड़ाई की जो तैयारियां की जा रही थीं, वह भी कमजोर हुई हैं. लिहाजा दूसरी बीमारियों से संबंधित टीकाकरण(Vaccination) में पिछले 10 साल में पहली बार बड़ी गिरावट आई है. इस वजह से टीबी और मलेरिया से होने वाली मौतों में भी वृद्धि हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन World Health Organization(WHO) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम (Dr. Tedros Adhanom, Director General of WHO) ने कहा कि अब फिर से सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक को वित्तीय परिणामों के डर के बिना स्वास्थ्य सेवा मिल सके. साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं पर किए जाने वाले खर्च को और मजबूत करना होगा. महामारी से पहले कई देशों ने प्रगति की थी, लेकिन इस बीमारी से लड़ने के इंतजाम नहीं थे. मसलन अब हमें ऐसी स्वास्थ्य प्रणालियों को तैयार करना होगा जो अगली महामारी जैसे झटके झेलने के लिए पर्याप्त मजबूत हों. विश्व बैंक के स्वास्थ्य, पोषण और जनसंख्या के वैश्विक निदेशक जुआन पाब्लो उरीबे (Juan Pablo Uribe, World Bank’s global director of health, nutrition and population) ने कहा कि कोविड-19 के आने से पहले लगभग एक बिलियन लोग अपने घरेलू बजट का 10 प्रतिशत से अधिक स्वास्थ्य पर खर्च कर रहे थे. लेकिन कोरोना आने के बाद उन्हें बड़ा झटका लगा है. इसका खामियाजा उन लोगों ने सबसे ज्यादा भुगता, जो पहले से गरीबी रेखा के नीचे थे. उन्होंने कहा कि सरकारों को स्वास्थ्य बजट बढ़ाने के लिए विकल्प बनाने होंगे.