वाशिंगटन (washington)। नये साल के आगमन के साथ ही मंदी की आहट तेज हो गई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह वर्ष और ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख क्रिस्टालीना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही है।
आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा कि अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था में नरमी की आशंका के कारण 2022 के मुकाबले नया साल यानी 2023 ज्यादा कठिन होगा। इस साल दुनिया की एक तिहाई अर्थव्यवस्था मंदी के भंवर में फंस जाएगी।
उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है, जब 10 महीने बाद भी रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। इसके अलावा, बढ़ती महंगाई, उच्च ब्याज दर और चीन में ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से कोरोनो संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि दुनिया की तीनों बड़ी अर्थव्यवस्थाएं चाहे वह अमेरिका हो या यूरोपीय देश या चीन…सभी एक साथ धीमे हो रहे हैं। इसका असर काफी गहरा होने वाला है। चिंता की बात यह है कि जो देश मंदी की चपेट में नहीं है, वहां भी करोड़ों लोगों को इसका असर महसूस होगा।
चीन का होगा सबसे बुरा हाल
जॉर्जीवा ने कहा कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के लिए 2023 की शुरुआत सबसे खराब होगी। कोरोना ने वहां की फैक्ट्रियों में भी दस्तक दे दी है। इससे देश के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है। चीन की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, जिसका नकारात्मक असर क्षेत्रीय और वैश्विक वृद्धि पर पड़ेगा।
जॉर्जीवा ने सीधे तौर पर भारत के बारे में कोई अनुमान नहीं जताया है, हालांकि, अक्तूबर में उन्होंने कहा था कि भारत 2023 में पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ेगा। वह इस ‘अंधेरे में उजाला’ की तरह है क्योंकि वह एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इसके अलावा, भारत संरचनात्मक सुधारों में आगे है और डिजिटलीकरण में एक अद्भुत सफलता हासिल की है।
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