उज्जैन। शहर के एक मात्र बड़े क्षीरसागर स्टेडियम का ध्यान नगर निगम नहीं रख पा रही है। रात के अंधेरे में स्टेडियम की सीढिय़ों पर बैठकर असामाजिक तत्व शराबखोरी करते हैं। बाद में उन्हीं बोतलों को फोड़ जाते हैं। सुबह यहाँ जब खिलाड़ी पहुँचते हैं तो फूटे हुए काँच उनके पैरों में चुभते हैं तथा वे घायल भी हो जाते हैं। पिछले दो दशक में शहर का तेजी से विस्तार हुआ है। आबादी भी इन वर्षों में पहले से डेढ़ गुना हो चुकी है। इसके बावजूद पुराने शहर में क्षीरसागर स्टेडियम के अलावा खिलाडिय़ों के लिए कोई अन्य व्यवस्थित खेल का मैदान नहीं है। सिंहस्थ 2016 से पहले नगर निगम ने लगभग 2 करोड़ की राशि खर्च कर क्षीरसागर स्टेडियम का कायाकल्प कराया था। यहाँ नए सिरे से स्टेडियम के चारों ओर बनी दुकानों का निर्माण किया गया था तथा स्टेडियम के अंदर भी मैदान का दायरा बढ़ाने से लेकर जल निकासी आदि की व्यवस्था सुधारी गई थी।
इसके अलावा स्टेडियम के मुख्य मंच का भी कायाकल्प किया गया था। इसी के ठीक पीछे कुश्ती ऐरिना को भी व्यवस्थित रूप से बनवाया गया था। उस दौरान जनप्रतिनिधियों ने दावे किए थे कि क्षीरसागर स्टेडियम में खेल सुविधाएँ और बढ़ाई जाएगी। नगर निगम इसका ठीक से रख रखाव करेगा। परंतु इसके विपरित क्षीरसागर स्टेडियम की लगातार विभाग द्वारा नजर अंदाजी की गई। यहाँ की डे्रनेज व्यवस्था भी चौक हो चुकी है। मैदान का रखरखाव भी नहीं किया जा रहा। शाम ढलते ही स्टेडियम की दर्शक दीर्घाओं के आसपास असामाजिक तत्व जमा हो जाते हैं। कोई यहाँ शराबखोरी करता है तो कोई रात के अंधेरे में अन्य नशों का सेवन करते हैं। बाद में जब यही शराबी यहां से जाते हैं तो शराब की काँच की बोतलें स्टेडियम में यहाँ वहाँ फेंक देते हैं। सुबह यही शराब की टूटी हुई बोतलों के काँच यहाँ खेलने आने वाले खिलाडिय़ों के पैरों में चुभते हैं। खेल संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि नगर निगम को क्षीरसागर स्टेडियम के रख रखाव पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही रात में यहाँ होनी वाली असामाजिक गतिविधियों को रोकने के लिए कोतवाली पुलिस की मदद लेना चाहिए। ताकि खिलाडिय़ों को मैदान व्यवस्थित मिले।
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