भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि अनुसूचित जाति, जनजाति के विरूद्ध अपराध नियंत्रण के लिए सभी वर्गों के बीच समरसता को और अधिक मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा कि समरसता शिविरों का व्यापक स्तर पर आयोजन किया जाए। चिन्हित क्षेत्रों के नागरिकों के साथ जीवंत संवाद कायम करें। अपराध नियंत्रण के प्रभावी प्रयासों के लिए आपराधिक सोच में सुधार जरूरी है। राज्यपाल पटेल ने यह बात अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की समीक्षा के दौरान अधिकारियों से कही। अधिनियम के तहत अपराधों की नियंत्रण व्यवस्था को और अधिक मज़बूत बनाने के लिए जरूरी है कि गुनहगार को कठोर दंड मिले। बेकसूर परेशान नहीं हो। राज्यपाल ने कहा कि समाज में समरसता की मज़बूत परम्पराएँ हैं। आवश्यकता उन अच्छी परम्पराओं को और अधिक मज़बूती देने और प्रसारित करने की है। ऐसे बहुत सारे वार्ड और ग्राम हैं, जहाँ एक भी अपराध पंजीबद्ध नहीं है। ऐसे ग्रामों के संबंध में जानकारी समरसता शिविर में दी जाये। पटेल ने कहा कि अधिनियम के तहत प्रभावी कार्रवाई के लिए दिल और दिमाग में पीडि़त के प्रति संवेदना और सहानुभूति होना जरूरी है।
संवेदनशीलता के साथ किए गए कार्यों के परिणाम सदैव अच्छे होते हैं। उन्होंने विवेचना कार्यों की निरंतर मॉनीटरिंग और सघन भ्रमण कर समीक्षा के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अपराध के उद्गम से लेकर न्यायालय के स्तर तक सभी स्तरों पर व्यवस्थाओं की निरंतर समीक्षा की जाए। यदि किसी भी स्तर पर कोई कमी अथवा दिक्कत मिले तो उसका तत्काल समाधान किया जाए।
राज्यपाल को अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजोरा ने आश्वस्त किया कि उनकी मंशानुसार प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। अपर महानिदेशक पुलिस अजाक राजेश गुप्ता ने नवाचारों की जानकारी दी। बताया कि साक्षी संरक्षण सहायता प्रोग्राम में चयनित कुल 1,953 प्रकरणों में 66 प्रतिशत में दोष सिद्धि हुई है। अनुसूचित जाति के पंजीबद्ध 7,413 प्रकरणों में 100 करोड़ 44 लाख रुपये और अनुसूचित जनजाति के 2,667 प्रकरणों में 28 करोड़ 80 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। अधिनियम में हुए नवीन संशोधनों को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक अजाक थाना को एक-एक वीडियो कैमरा दिया गया है। अजाक रेंज स्तर पर 14 प्रशिक्षण शिविर में 700 और जिला स्तर पर 60 प्रशिक्षण में 3,500 पुलिस अधिकारियों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्गों के प्रति संवेदनशीलता, अनुसंधान और राहत कार्य आदि के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया है।
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