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    13 वार्डों में चल रहा है GIS Survey

  • April 17, 2022

    • दिसम्बर तक पूरा करके देना है डाटा-कंपनी के 52 कर्मचारी लगे हैं सर्वे में

    उज्जैन। नगर निगम का संपत्ति का हर साल जितना बजट में निर्धारित किया जाता है, उससे कम वसूल हो पाता है। हर साल करीब 33 से 35 प्रतिशत ही संपत्ति कर वसूल हो पाता है, इसको देखते हुए शहर में जीआईएस सर्वे कराया जा रहा है जिससे संपत्ति कर की राशि बढ़ेगी। वर्तमान में नगर निगम की आय का सबसे बड़ा साधन संपत्ति कर है। इस वर्ष 28 करोड़ 50 लाख रुपए का संपत्ति कर वसूला गया है जो विगत वर्षों में सबसे अधिक है लेकिन संपत्ति कर का नगर निगम जो निर्धारण करती है उसके अनुसार नगर निगम को संपत्ति कर से हर साल करीब 75 प्राप्त होना चाहिए। वर्तमान में देखा जाए तो मात्र 30 से 35 प्रतिशत राशि ही नगर निगम वसूल कर पाता है और इसके लिए भी पूरे साल भर जद्दोजहद करना पड़ती है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सेल्फ एसेसमेंट में लोगों ने संपत्ति की जानकारी फार्म में सही नहीं भर रखी है।



    कई लोगों ने तीन मंजिल मकान बना लिए हैं और संपत्ति कर मात्र 1 मंजिल का दे रहा है, वहीं कई मकानों के मालिक तो अभी तक प्लाट का ही संपत्ति कर भर रहे हैं। इन सभी की जाँच कराने के उद्देश्य से जीआईएस सर्वे वर्ष 2020 में शुरू करवाया गया था। करीब डेढ़ वर्ष होने को है अभी तक निजी कंपनी ने मात्र 2 वार्ड का ही सर्वे कराया है। हालांकि कंपनी के लोग यह दावा करते हैं कि हमारा सर्वे का काम 13 वार्डों में चल रहा है और विगत डेढ़ वर्ष में हमने शहर के सभी वार्डों के नक्शे तैयार कर नगर निगम को दिए हैं। उन्हीं नक्शों के आधार पर अब संपत्ति कर कितना कहाँ वसूल हो रहा है और कितना होना चाहिए इसका आंकलन का सर्वे किया जा रहा है। फिलहाल 13 वार्डों में काम चल रहा है। इनमें से वार्ड 44 में काम पूरा हो चुका है और इन 13 वार्डों में भी 10-15 दिन में काम पूरा हो जाएगा। दिसम्बर 2022 तक यह सर्वे कंपनी को पूरा करना है। इस सर्वे से कई वार्डों में क्रय भूमि स्वामी और मकान मालिकों की असली संपत्ति पता चली है और वे वर्षों से कम संपत्ति का संपत्ति कर भर रहे थे, इन सब पर कुर्की की कार्रवाई भी की जा रही है। ऐसे ही अब पूरे शहर के सभी वार्डों में सर्वे होगा तो करोड़ों रुपए की राशि का कर नगर निगम का बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि संपत्ति कर का सर्वे वर्ष 2015-16 में भी चलाया गया था। एक निजी कंपनी को काम दिया गया था लेकिन वह काम पूरा नहीं हुआ, अब फिर से वर्ष 2020 से यह सर्वे चलाया जा रहा है, देखना है इसके क्या परिणाम निकलते।

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