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बुधनी के गिरीश यादव जाते-जाते 3 लोगों को दे गए नई जिंदगी, जानें कैसे

November 09, 2024

बुधनी: राजधानी भोपाल (Bhopal) में शुक्रवार (8 नवंबर) को दो ग्रीन कॉरिडोर (Green Corridor) बनाए गए. दोनों ही कॉरिडोर बंसल अस्पताल (Bansal Hospital) से बने. इसमें एक कॉरीडोर बंसल से एम्स अस्पताल (AIIMS Hospital) तक बना और दूसरा कॉरीडोर बंसल से इंदौर (Indore) के लिए बना. ग्रीन कॉरीडोर के लिए राजधानी की कुछ प्रमुख सड़कें थोड़ी देर के लिए थम गईं.

ट्रैफिक डीसीपी ने बताया कि प्रशासन से मिली जानकारी के आधार पर भोपाल में शुक्रवार को दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए. इसमें किसी तरह का रूट डायवर्ट नहीं किया, बल्कि जिन रास्तों से एंबुलेंस को गुजरना था, सिर्फ वही कुछ देर के लिए रोक दिए गए. ट्रैफिक हॉल्ट लेकर एंबुलेंस को रास्ता दिया गया. एम्स तक पहुंचने में एंबुलेंस को कुछ मिनट का समय लगा जबकि इंदौर का सफर करीब तीन घंटे में पूरा किया.

बंसल अस्पताल से मिली जानकारी अनुसार बुधनी निवासी गिरीश यादव उम्र 73 वर्ष को कुछ दिन पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था. जिस वजह से उनके परिजनों ने उन्हें बंसल अस्पताल में भर्ती कराया. गुरुवार (7 नवंबर) को चिकित्सकों ने मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर दिया. गिरीष के बड़े बेटे विनय यादव ने चिकित्सकों के परामर्श पर अपने पिता की देह से अंगदान करने का निर्णय लिया.


विनय ने बताया कि उनके पिता गिरीश यादव बुधनी में एडवोकेट थे और अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई व समाज सेवा में खर्च किया. इसके साथ ही वह बुधनी कांग्रेस में सक्रिय सदस्य थे. यही वजह रही कि हमने उनकी देह से अंगदान करने का निर्णय लिया, ताकि पिता जी का शरीर शांत होने के बाद भी किसी के काम आ सके.

विनय यादव ने बताया कि चिकित्सकों की टीम ने तमाम तरह की जांच करने के बाद हमारे पिता जी को ब्रेन डेड घोषित किया, फिर हमने अंगदान की सहमति दी. इसके बाद शुक्रवार को पूरी प्रक्रिया शुरू हुई. बंसल अस्पताल से मिली जानकारी अनुसार दो किडनी में से एक किडनी भोपाल एम्स में दी गई, जहां एक 21 वर्षीय युवती का किडनी ट्रांसप्लांट किया जाएगा. दूसरी किडनी बंसल अस्पताल में ही एक मरीज को दी गई. जबकि लिवर इंदौर में किसी मरीज को दिया जा रहा है. इसके लिए इंदौर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है.

ब्रांडेड हुए मरीज की उम्र 73 वर्ष थी. जिस कारण उनके हार्ट का डोनेशन नहीं हो सका. चिकित्सकों ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के कारण मरीज के बाकी अंग तो ठीक थे, लेकिन हार्ट पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहा था. यही कारण रहा कि हार्ट किसी के काम नहीं आ सका. आंखे गांधी मेडिकल कॉलेज में दान की गईं.

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