इस्लामाबाद । गिलगित-बालटिस्तान में प्रमुख नेता बाबा जन और अन्य राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तीसरे सप्ताह भी जारी रहा। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के उस बेरहम (ड्रैकोनियन) कानून पर सवाल उठाये हैं, जिसके तहत राजनीतिक लोगों की गिरफ्तारी की गई है। इनका कहना है कि यह क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है, इसलिए यहां पर उसके कानून लागू नहीं होंगे।
दूरदराज के इलाके और कई छोटे कस्बे के लोग भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं। इन सब की मांग है कि राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए, क्योंकि वे गैर कानूनी सजा भुगत रहे हैं। प्रदर्शनकारी बाबा जन की तस्वीर को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। बाबा जन एक स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, जिनको गलत और झूठे आरोपों के तहत 90 साल की सजा दी गई है।
बाबा जन को 2011 में गिरफ्तार किया गया था। उस समय वह पाकिस्तानी शासन के खिलाफ आवाज उठा रहे थे, जो उस समय गिलगित बालटिस्तान में दमनकारी रवैया अख्तियार किय़े था। दरअसल, पाकिस्तान में जो लोग शासन के खिलाफ आवाज उठाते हैं, उनकी आवाज दबाने के लिए पाकिस्तान एंटी टेररिज्म कानून की अनुसूची 4 का इस्तेमाल करता है। इस कानून की मदद से पाकिस्तान ने दर्जनों लोगों को जेल में डाल दिया है। इससे उसको शासन करने में आसानी होती है। साथ ही साथ वह समाज के सभी वर्गों के बीच एक कड़ा संदेश भी देना चाहता है ।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनका प्रदर्शन दिनोंदिन व्यापक होता जा रहा है लेकिन यह उतना असरदार नहीं हो पा रहा है, जितना होना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तानी मीडिया इसे पर्याप्त कवरेज नहीं दे रहा है। उन लोगों ने आगे कहा कि इस बार हमारा प्रदर्शन असीमित होगा और हम शासन के किसी भी बहकावे या वादे में नहीं आएंगे। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि अगर आप सोचते हैं कि आप हमारी आवाज को दबा देंगे तो आप गलत सोच रहे हैं। यह 21वीं सदी है और हम अब चुप नहीं बैठेंगे। पाकिस्तानी मीडिया चुनिंदा खबरें दिखा रहा है और हमारे मुद्दों को नजरअंदाज कर रहा है।
स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन को चेताया है कि अगर जल्द से जल्द फैसला नहीं लिया गया और हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो प्रदर्शन और उग्र होगा।
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