बेंगलुरू । कांग्रेस (Congress) ने गुरुवार को कर्नाटक की सत्तारूढ़ भाजपा पर (On Karnataka’s Ruling BJP) वोटर आईडी घोटाले (Voter ID Scam) का आरोप लगाया (Charged up) और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Chief Minister Basavaraj Bommai) के इस्तीफे (Resignation) व मामले की जांच (Investigate the Matter) कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of Karnataka High Court) से कराने की मांग की (To have Demanded) ।
बेंगलुरु में केपीसीसी मुख्यालय में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में राज्य के पार्टी प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, विपक्ष के नेता सिद्धारमैया और कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने कहा कि वे मामले में शिकायत दर्ज कराएंगे। सुरजेवाला ने कहा, सरकार मतदाताओं का डेटा चुरा रही है। सत्तारूढ़ भाजपा निजी एजेंसी के माध्यम से चुनावी धोखाधड़ी में लिप्त है। बोम्मई, प्रभारी मंत्री, बीबीएमपी के विशेष आयुक्त तुषार गिरिनाथ और चुनाव आयोग मतदाताओं के डेटा चोरी करने के लिए एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं।
शिवकुमार ने आरोप लगाया कि राज्य में हजारों भाजपा कार्यकतार्ओं को मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए लगाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया, ”भाजपा कार्यकर्ताओं को एक निजी एजेंसी द्वारा अनुबंध के आधार पर काम पर रखा गया है, अधिकारियों द्वारा मतदाता पहचान पत्र नवीनीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पहचान पत्र दिए गए हैं।” अकेले बेंगलुरु में लगभग 17 से 18 हजार ऐसे पहचान पत्र दिए गए हैं। उन्होंने कहा भाजपा कार्यकर्ता घर-घर जाकर मतदाताओं की मैपिंग कर रहे हैं। वे खाली घरों को चिह्न्ति कर रहे हैं, मतदाताओं की राजनीतिक संबद्धता का अध्ययन कर रहे हैं और चुनाव जीतने के लिए मतदाता सूची के साथ आ रहे हैं। शिवकुमार ने कहा कि भारतीय संविधान के मुताबिक केवल सरकारी अधिकारी मतदाता सूची से संबंधित मुद्दों को संभालने का कार्य कर सकते हैं। शिवकुमार ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि सरकार द्वारा पहचान पत्र दिए गए हजारों भाजपा कार्यकतार्ओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और एकत्र डेटा को जब्त किया जाना चाहिए।
इस बीच सिद्धारमैया ने दावा किया कि यह सब मुख्यमंत्री के इशारे पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, उन्हें (बोम्मई) गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि उन्हें पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। इस तरह की साजिश कर्नाटक के इतिहास में कभी किसी मुख्यमंत्री ने नहीं की।
केपीसीसी अभियान समिति के अध्यक्ष और विधायक एम.बी. पाटिल ने कहा कि शुरू में यह बेंगलुरु के महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र में किया गया था। अब बीजेपी ने पूरे बेंगलुरु और राज्य के सभी 224 विधानसभा क्षेत्रों में यह कवायद शुरू कर दी है।
कांगेस नेताओं ने मांग की कि एक निजी संस्था को मतदाताओं का डेटा एकत्रित करने की अनुमति किसने दी? इस बात की जांच की जानी चाहिए। सुरजेवाला ने पूछा एक निजी संस्था को जाति, धर्म, लिंग, मातृभाषा, वैवाहिक स्थिति, आधार संख्या, फोन नंबर, पता, मतदाता पहचान संख्या, मतदाताओं के ईमेल पते आदि की जानकारी एकत्र करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है।
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