इंदौर (Indore)। संभागायुक्त दीपक सिंह ने राऊ रंगवासा की 48 एकड़ कृषि कार्य के लिए पट्टे पर दी गई जमीन के दुरुपयोग को लेकर दो महत्वपूर्ण आदेश पारित किए और करोड़ों रुपए मूल्य की इन जमीनों को फिर से सरकारी घोषित कर दिया। जबकि इन जमीनों को अपर आयुक्त ने बेचने की अनुमति दे डाली थी और जमीनी जादूगरों ने ताबड़तोड़ नगर तथा ग्राम निवेश से अभिन्यास भी मंजूर करवा लिए। रॉयल ऑस्कर के नाम से तीन टाउनशिप के ये अभिन्यास उन्हीं जमीनों पर मंजूर हुए जो अभी सरकारी घोषित की गई है। कलेक्टर आशीष सिंह ने इस फर्जीवाड़े को पकडक़र उसकी अपील करवाई और इसी जमीनों से जुड़े कुछ तीन प्रकरण राजस्व बोर्ड में भी चल रहे हैं।
लगभग 55 साल पहले रंगवासा की सरकारी जमीन को गणेश सामुहिक कृषि संस्थान को खेती के लिए आवंटित की गई थी। उसके बाद 2003-04 में 18 सदस्यों के बीच इस जमीन का बंटवारा हुआ और फिर तत्कालीन कलेक्टर इलैयाराजा टी के समय भी इन जमीनों की बिक्री की अनुमति मांगी गई थी। दरअसल, भू-राजस्व संहिता की धारा 165 (7) के तहत पट्टे पर दी गई जमीन की बिक्री की अनुमति कलेक्टर से लेना अनिवार्य है, मगर कलेक्टर ने इन प्रकरणों को मंजूरी नहीं दी। इसके बाद यह प्रकरण संभागायुक्त कार्यालय में पहुंचे और तत्कालीन अपर आयुक्त जमुना भिड़े ने इन प्रकरणों को मंजूरी दे दी, जिसके आधार पर जमीन की बिक्री तो हुई, साथ ही नगर तथा ग्राम निवेश से अभिन्यास भी मंजूर करा लिए।
जमीन बेचने की जो शर्त लगाई गई उनका भी पालन नहीं किया गया। उसके बाद जब पिछले दिनों यह मामला कलेक्टर आशीष सिंह की जानकारी में आया तो उन्होंने इसकी अपील करवाई और अभी संभागायुक्त दीपक सिंह ने रंगवासा की सरकारी जमीन को वापस लेने के संबंध में महत्वपूर्ण आदेश पारित किए। मगर मजे की बात यह है कि जो जमीनें सरकारी घोषित की गई उस पर ताबड़तोड़ नगर तथा ग्राम निवेश से अभिन्यास मंजूर करवा लिए, जो मात्र 19 दिनों में मंजूर हो गए। रॉयल ऑस्कर फेज-1, फेज-2 और फेज-3 के नाम से ये अभिन्यास मंजूर हुए हैं, जिनमें फेज-1 में 218 भूखंड, फेज-2 में 242 और फेज-3 में 224 भूखंड विकसित किए जाना है। अब प्रशासन को इन मंजूर अभिन्यासों को भी निरस्त करवाना पड़ेगा, क्योंकि जमीन सरकारी घोषित की जा चुकी है।
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