नई दिल्ली: डिजिटल जमाने में ठगी करने का अंदाज भी बदल गया है. साइबर क्रिमिनल्स नए-नए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं. कभी मालवेयर के जरिए तो कभी नकली बैंक कर्मचारी बनकर भोले-भाले लोगों को फंसाया जाता है. हाल ही में देखा गया कि फ्री मूवी डाउनलोड के लालच भी में कई लोगों को चूना लगा है.
स्कैमर्स फेक कॉल के जरिए भी ठगी करते हैं. ये वॉयस फिशिंग का तरीका है जब किसी कंपनी या बैंक का कर्मचारी बनकर फेक कॉल और मैसेज भेजकर यूजर्स के बैंक अकाउंट की डिटेल्स चोरी की जाती है.
साइबर क्रिमिनल्स फेक कॉल करके यूजर्स को फिशिंग वेबसाइट तक लेकर जाते हैं. ये वेबसाइट बेहद खतरनाक होती हैं. हाल ही में FakeCalls नामक मालवेयर का पता चला है. इसमें वॉयस फिशिंग के जरिए यूजर्स को फंसाया जाता है, और उनकी बैंकिंग डिटेल्स चुराकर फ्रॉड किया जाता है.
5000 करोड़ का नुकसान
फेककॉल्स मालवेयर में 20 से ज्यादा फाइनेंशियल एप्लिकेशन में से एक का कर्मचारी होने का दिखावा किया जाता है. इसमें बैंक या फाइनेंशियल सर्विस कर्मचारियों की बातचीत की नकल होती है. इस मालवेयर का सबसे ज्यादा अटैक साउथ कोरिया पर हुआ है. यहां लंबे समय से वॉयस फिशिंग के जरिए यूजर्स के साथ ठगी हो रही है. एक अनुमान के मुताबिक इस अटैक से लगभग 60 करोड़ डॉलर (करीब 5,000 करोड़ रुपए) का चूना लगा है.
FakeCalls से ऐसे होती है ठगी
साइबर अपराधियों ने कई दिग्गज फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन को अपना शिकार बनाया है. ये इन कंपनियों की नकल करते हैं और फेक कॉल और ऐप के जरिए लोगों को अपने चंगुल में फंसाते हैं. जब यूजर्स अनजाने में फेककॉल्स मालवेयर को डाउनलोड कर लेते हैं तो, उन्हें पता नहीं होता कि बैंकिंग ऐप इस्तेमाल करते समय उनका बैंक अकाउंट डिटेल्स बड़े खतरे के बीच हैं.
बैंक अकाउंट का सफाया
अब अगले कदम के तौर पर पहले से रिकॉर्ड की गई ऑडियो सुनाई जाती है. इसमें बैंक के इंस्ट्रक्शन रिकॉर्ड होते हैं, और यूजर्स को लगता है कि ये बैंक के असली निर्देश हैं. ऐसा करके साइबर क्रिमिनल्स यूजर्स का फाइनेंशियल डेटा चुराते हैं, और उनके बैंक अकाउंट से रकम उड़ा लेते हैं.
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