बर्लिन । तमाम कोशिशों और चेतावनियों के बाद भी यूक्रेन पर हमला करने से रूस ने कदम पीछे नहीं खींचा। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने डुनास्क और लुहांस्क को आजाद देश की मान्यता दे दी है और उनकी सुरक्षा में रूसी फौजें तैनात कर दी हैं।
इस बीच रूस को लेकर पश्चिमी देश प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। लेकिन जर्मनी ने जो अटैक किया है उससे रूस बौखला उठा है। जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना को रद्द करने का फैसला किया है।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने रूस के साथ जारी अपनी अहम हम नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना को रद्द करने का फैसला किया है। रूस इस परियोजना के जरिए जर्मनी को अपनी तेल-गैस की सप्लाई दोगुनी करने वाला था और इससे पुतिन सरकार की आर्थिक स्थिति बेहतर होने की संभावना थी।
इस परियोजना को रद्द करते हुए जर्मनी ने कहा है कि, वह यूक्रेन के खिलाफ रूस की कार्रवाई का सख्त विरोध करता है। चांसलर शोल्ज ने कहा कि रूस का बतचीत की मेज पर लौटना जरूरी है और इस तरह के एकतरफा फैसलों को रोकना पूरी दुनिया की जरूरत है।
बता दें कि, नॉर्ड स्ट्रीम 1200 किमी लंबी पाइपलाइन है। यह बाल्टिक सागर से होते हुए पश्चिमी रूस से उत्तर-पूर्वी जर्मनी तक जाती है। जर्मनी इस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के जरिए रूस से मिलने वाली प्राकृतिक गैस की सप्लाई दोगुनी करना चाहता है।
2.83 हजार करोड़ रुपए के लागत से निर्मित इस पाइपलाइन का काम सितंबर 2021 में पूरा हो गया था। लेकिन, अभी भी कुछ अहम मंजूरी मिलनी बाकी है, जिसके चलते पाइपलाइन का उद्घाटन नहीं हो सका। अगर इस पाइपलाइ से रूस ने जर्मनी को गैस की सप्लाई शुरू कर दी तो इसे पुतिन की बड़ी कूटनीतिक चाल के तौर पर देखा जाएगा। रूस फिलहाल यूरोप की कुल ऊर्जा जरूरतों (तेल-गैस) का 49 फीसदी से ज्यादा सप्लाई करता है।
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