नई दिल्ली (New Delhi) । रूस (Russia) से तेल (oil) खरीदी को लेकर जर्मनी (Germany) अब भारत (India) के समर्थन में आ गया है। बुधवार को भारत में जर्मनी के राजदूत डॉक्टर फिलिप एकरमैन (Dr Philip Ackerman) ने साफ कर दिया है कि ‘इसमें भारत का कोई दोष नहीं है।’ साथ ही उन्होंने भारत की डिप्लोमैसी की भी तारीफ की। खास बात है कि एकरमैन का बयान ऐसे समय पर आया है, जब जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज भारत का दौरा करने की तैयारी कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में एकरमैन ने कहा, ‘भारत के रूस से तेल खरीदने से हमारा कोई लेना देना नहीं है। अगर आपको वह कम कीमत पर मिल रहा है, तो इसका दोष मैं भारत पर नहीं डाल सकता।’ उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को रोकने में उपाय करने के लिए भारत को सबसे उचित उम्मीदवार बताया है। उन्होंने कहा, ‘भारत के पास कुशल और अच्छी कूटनीति है।’
युद्ध रोकने के लिए भारत की भूमिका को बताया अहम
जर्मन राजदूत ने रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने को लेकर कहा कि मुझे लगता है कि अभी न ऐसा कोई मंच नहीं है। लेकिन हम चाहते हैं कि भारत इस समस्या के समाधान को खोजने के लिए जुड़े। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने मंगलवार को अपने भाषण में साफ किया है कि वो संघर्ष रोकने के लिए समाधान खोजने के पक्ष में हैं। इस समाधान को खोजने के लिए दो पक्षों को तैयार रहने की जरूरत है।
एकरमैन ने कहा कि भारत के पास कुशल कूटनीति है। अगर वो आगे बढ़ेगा तो समाधान जरूर निकल आएगा। हमारा मानना है कि यूक्रेन संकट को कूटनीतिक रूप से हल किया जाना चाहिए। वहीं उन्होंने साफ किया कि जर्मनी, यूक्रेन की मदद जारी रखेगा।
शोल्ज-मोदी वार्ता में चीन, यूक्रेन युद्ध होगा शामिल
एकरमैन ने कहा कि जर्मन चांसलर शोल्ज और पीएम मोदी की होने वाली बैठक में चीन मुद्दा और यूक्रेन युद्ध प्रमुख एजेंडे में सबसे ऊपर होगें। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में संघर्ष को समाप्त करने और शांति बहाली के लिए बुलाए एक प्रस्ताव के समर्थन में जर्मनी भारत का सहयोग चाहता है। शोल्ज अपनी बैठक के दौरान, व्यापार, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा और वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
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