बर्लिन । जर्मनी (Germany) का सत्तारूढ़ गठबंधन बुधवार को तब टूट गया, जब चांसलर ओलाफ शोल्ज (Chancellor Olaf Scholz) ने अपने वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर (Finance Minister Christian Lindner) को बर्खास्त (Dismiss) कर दिया, जिससे यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई है. डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के कुछ घंटों हुए इस घटनाक्रम के कारण जर्मनी में आकस्मिक चुनाव की नौबत आ गई है.
फ्री डेमोक्रेट्स पार्टी (FDP) के वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर को बर्खास्त करने के बाद, शोल्ज अपनी सोशल डेमोक्रेट्स और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी ग्रीन्स के साथ अल्पमत सरकार का नेतृत्व करेंगे. उन्हें कानून पारित करने के लिए संसदीय बहुमत पर निर्भर रहना होगा. वह 15 जनवरी को अपनी सरकार का फ्लोर टेस्ट आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.
बजट पॉलिसी और जर्मनी की आर्थिक दिशा को लेकर गठबंधन सहयोगियों के साथ कई महीनों तक चली खींचतान के कारण ओलाफ शोल्ज के नेतृत्व वाली सरकार की लोकप्रियता कम हुई है और धुर-दक्षिणपंथी और धुर-वामपंथी पार्टियों को अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का अवसर मिला है. शोल्ज ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘हमें एक ऐसी सरकार की जरूरत है जो कार्य करने में सक्षम हो, जिसमें हमारे देश के लिए आवश्यक निर्णय लेने की ताकत हो.’
ओलाफ शोल्ज ने कहा कि उन्होंने क्रिश्चियन लिंडनर को बजट विवाद पर उनके अवरोध बढ़ाने वाले व्यवहार के कारण वित्त मंत्री पद से बर्खास्त किया. जर्मन चांसलर शोल्ज ने लिंडनर पर देश से पहले अपनी पार्टी का हित सोचने और फर्जी मुद्दों पर कानून को अवरुद्ध करने का आरोप लगाया. यह घटनाक्रम तब सामने आया है, जब यूरोप संभावित नए अमेरिकी टैरिफ से लेकर यूक्रेन रूस युद्ध और नाटो गठबंधन के भविष्य जैसे मुद्दों पर एकजुट प्रतिक्रिया देने के लिए संघर्ष कर रहा है.
बता दें कि इस समय जर्मनी की अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है. इसके लिए ओलाफ शोल्ज ने टैक्स में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है साथ ही कड़े कर्ज प्रतिबंधों में बदलाव की बात कही है. लिंडनर जो प्रॉपर्टी-बिजनेस समर्थक फ्री डेमोक्रेट्स पार्टी (FDP) से हैं, उन्होंने इस प्रस्ताव का विरोध किया था. फ्री डेमोक्रेट्स पार्टी ने सोशल और पब्लिक वेलफेयर वाली योजनाओं के बजट में कटौती का प्रस्ताव रखा था, जिसे शोल्ज और ग्रीन्स ने खारिज कर दिया था. सत्तारूढ़ गठबंधन में चल रही इस खींचतान के बाद यह अटकलें लगने लगी हैं कि क्या वर्तमान सरकार 11 महीने बाद होने वाले चुनावों तक बरकरार रहेगी या गिर जाएगी.
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