बर्लिन : जर्मनी (germany) की वायु सेना (air force) ने पहली बार खतरनाक हेरोन टीपी किलर ड्रोन (heron tp killer drone) को अपने बेड़े में शामिल किया है। इस ड्रोन का निर्माण इजरायल (israel) एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने यूरोपीय रक्षा निर्माता एयरबस (airbus) के साथ मिलकर किया है। जर्मनी की वायु सेना ने एक बयान में बताया है कि हेरोन टीपी ड्रोन ने पहली बार जर्मनी के एयर स्पेस में उड़ान भरी है। जर्मनी की वायु सेना ने एक्स पर लिखा, ‘लैंडेड। हमारे जर्मन हेरोन टीपी का जमीन पर उतरने पर शॉवर के साथ शानदार स्वागत किया गया।’ जर्मन एयर फोर्स ट्रूप्स कमांड के कमांडिंग जनरल लेफ्टिनेंट जनरल गुंटर कैट्स ने हेरोन टीपी की पहली उड़ान को भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
इजरायली मूल के इस ड्रोन को जर्मनी की वायु सेना की जरूरतों के अनुसार बनाया गया है। जर्मनी के सैन्य विमानन प्राधिकरण ने साल 2022 के अंदर में जर्मन हेरोन टीपी (GHTP) को एक प्रमाण पत्र दिया था। जर्मनी के अधिकारियों ने कहा, ड्रोन की पहली उड़ान जर्मनी और इजरायल के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को दर्शाता है। हेरोन टीपी को इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री, एयरबस और इजरायल के रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान और विकास निदेशालय ने मिलकर तैयार किया है। इसके पहले जर्मनी ने इजरायल का शक्तिशाली एरो-3 डिफेंस सिस्टम खरीदा था।
हेरोन टीपी ड्रोन की खासियत
हेरोन टीपी की जर्मन वायु सेना में शामिल होने पर इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री (IAI) के चेयरमैन और सीईओ बोअज लेवी ने मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह वैश्विक मंच पर अत्याधुनिक एयरोस्पेस और रक्षा समादारों के अग्रणी प्रदाता के रूप में स्थिति को मजबूत करता है। आईएआई ने हेरोन टीपी को रणनीतिक मिशनों के लिए एक बहु भूमिका, उन्नत, लंबी दूरी की मध्य ऊंचाई वैले ड्रोन के रूप में बताया है। ड्रोन में स्वचालित टेकऑफ और लैंडिंग सिस्टम, लंबी दूरी के संचार के लिए सैटकॉम, रिडंडेंट एवियोनिक्स समेत अन्य विशेषताएं हैं।
भारत भी इसका फैन
हेरोन टीपी को मल्टी-मिशन मानव रहित एयरक्राफ्ट के रूप में विकसित किया है। यह लक्ष्य पर निशाना लगाने, टोही, खुफिया जानकारी एकत्र करने और निगरानी समेत कई रणनीतिक मिशनों को मजबूती से पूरा करने में सक्षम है। इसमें विभिन्न प्रकार के पेलोड का इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत भी हेरोन के संचार क्षमता का फैन है। भारत ने साल 2022 में इजरायल से हेरोन ड्रोन हासिल किया था, जिसे तिब्बत से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास तैनात किया गया था। भारतीय सेना के पास हेरोन 1 का एडवांस वर्जन है।
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