नई दिल्ली (New Delhi)। मई (May) महीने में भले ही खुदरा महंगाई दर (retail inflation rate) 25 महीने के निचले लेवल (25 months low) 4.25 फीसदी (4.25 percent) पर आ गई हो. लेकिन महंगाई ( Inflation) को लेकर चिंताएं अभी पूरी तरीके से खत्म नहीं हुई है। जर्मन ब्रोकरेज हाउस डॉयचे बैंक (Deutsche Bank) ने चेतावनी देते हुए कहा कि भले ही मई महीने में महंगाई दर में कमी आई हो, लेकिन मानसून (Monsoon) में देरी को देखते हुए महंगाई को लेकर किसी भी प्रकार की कोताही ठीक नहीं होगी।
डॉयचे बैंक ने अपने अनुमान में कहा कि 2023-24 में सीपीआई (Consumer Price Inflation) यानि खुदरा महंगाई दर ( Retail Inflation Data) 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि आरबीआई ने मौजूद वित्त वर्ष के दौरान 5.1 फीसदी महंगाई दर रहने का लक्ष्य रखा है. डॉयचे बैंक के मुताबिक मानसून की बारिश सामान्य से 53 फीसदी फिलहाल कम है. कमजोर मानसून की शुरूआत के चलते जुलाई में हमेशा खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उछाल देखने को मिलता है. ऐसे में भारत में महंगाई को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही ठीक नहीं होगी।
ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि ये खुशकिस्मती होगी अगर भारत में महंगाई दर 5 फीसदी से कम रहती है और इसके साथ ही जुलाई और अगस्त में खाद्य वस्तुओं की कीमतें नहीं बढ़ती है. जुलाई का महीने सबसे महत्वपूर्ण रहने वाला है. कमजोर मानसून रहने पर जुलाई में खाद्य महंगाई में तेज उछाल देखने को मिल सकता है. डॉयचे बैंक ने कहा कि 2009 और 2014 में कमजोर मानसून के चलते खाद्य महंगाई में उछाल देखने को मिला था।
रिपोर्ट में कहा गया कि अब तक बारिश सामान्य से 53 फीसदी कम है. साउथ वेस्ट मानसून के आने में देरी हो रही है जिससे खरीफ फसलों की बुआई में देरी हो रही है. ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि प्याज, टमाटर, आलू जैसी सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिल सकती है. 2023 में अल नीनो की संभावनाओं के चलते मानसून में देरी महंगाई के मोर्चे पर भारत की चिंता को बढ़ा सकता है।
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