नई दिल्ली। फंड डायवर्जन के आरोपों में फंसी जेनसोल इंजीनियरिंग कंपनी की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय स्वतः संज्ञान लेकर जेनसोल इंजीनियरिंग के खिलाफ जांच शुरू कर सकता है। दरअसल जेनसोल पर वित्तीय कदाचार और नियमों के उल्लंघन का आरोप लग रहा है। आरोप है कि जेनसोल ने 975 करोड़ रुपये के कर्ज का गलत इस्तेमाल किया।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सरकार ने जेनसोल के रेगुलेटरी फाइलिंग और वित्तीय रिकॉर्ड की जांच शुरू भी कर दी है। साथ ही सरकार इस बात की भी जांच करेगी कि कंपनी ने कॉरपोरेट गवर्नेंस के नियमों के पालन में लापरवाही तो नहीं की है। सेबी पहले ही जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटर्स जग्गी बंधुओं को पूंजी बाजार से प्रतिबंधित कर चुकी है। साथ ही जग्गी बंधुओं को कंपनी में अहम पद संभालने से भी रोक दिया है। सेबी ने भी जेनसोल पर फंड के गलत इस्तेमाल और दस्तावेजों में हेराफेरी करने का आरोप लगाया है। सेबी ने फॉरेंसिक ऑडिट का भी आदेश दिया है।
जेनसोल इंजीनयरिंग ने सरकारी ऋणदाता संस्थानों IREDA और पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन से 975 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। ये कर्ज कैब सर्विस कंपनी ब्लूस्मार्ट के लिए इलेक्ट्रिक कारें खरीदने के लिए लिया गया था। इस कर्ज में से 200 करोड़ रुपये से ज्यादा फंड का जेनसोल के प्रमोटर्स जग्गी बंधुओं ने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया। इस पैसे से जग्गी बंधुओं ने लग्जरी फ्लैट खरीदे और अन्य निजी मद में खर्च किया।
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