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General Budget: स्वास्थ्य बीमा पर आयकर छूट की सीमा बढ़ने की उम्मीद

January 09, 2025

नई दिल्ली। सरकार (Government) ने वर्ष 2047 तक देश के हर नागरिक को हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज (Health insurance coverage) देने का लक्ष्य भी रखा है, जिसको देखते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 के आम बजट में हेल्थ इंश्योरेंस (Health insurance) के क्षेत्र में बड़े बदलावों का ऐलान हो सकता है। इस बदलाव के जरिए जीवन बीमा को भी प्रोत्साहन दिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि इसके लिए बीमा पर आयकर छूट की सीमा (Insurance Income tax exemption limit) बढ़ाई जा सकती है।


सूत्र बताते हैं कि सरकार हेल्थ इंश्योरेंस को प्रोत्साहन देने के लिए आयकर अधिनियम की धारा-80 डी के तहत डिडक्शन (कटौती) की सीमा का दायरा बढ़ा सकती है। अभी तक 60 वर्ष से कम आय के लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस कराने पर 25 हजार रुपये तक का डिडक्शन लाभ दिया जाता है, जबकि 60 वर्ष से अधिक की उम्र पर 50 हजार रुपये का डिडक्शन लाभ दिया जाता है।

इसको लेकर जानकारों का सुझाव है कि मौजूदा समय में हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम (किस्त) काफी महंगा है। अगर कोई 30 या 35 वर्ष से अधिक की आयु का व्यक्ति 25 लाख तक की कवरेज का हेल्थ इंश्योरेंस करा रहा है तो सालाना 30 हजार से अधिक की किस्त देनी पड़ती है। इसके साथ ही, उम्र बढ़ने के साथ किस्त भी बढ़ती जाती है।

40-60 वर्ष तक की आयु में ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस कराने पर औसतन प्रीमियम 50-70 हजार रुपये के बीच पड़ता है, जो कई परिस्थितियों में इससे महंगा भी हो सकता है, लेकिन सरकार 80सी के तहत 60 वर्ष तक की उम्र तक छूट सिर्फ 25 हजार रुपये तक की देती है।

डिडक्शन की सीमा कितनी होगी
इसी तरह से 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों के लिए बीमा ओर भी महंगा होता जाता है। ऐसे में विशेषज्ञों से सुझाव दिया है कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रोत्साहन के लिए छूट का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। ऐसे संकेत मिल हैं कि सरकार इस बार 60 वर्ष के कम की आयु के लिए डिडक्शन की सीमा को बढ़ाकर 50 हजार और उससे अधिक की उम्र के लिए एक लाख तक बढ़ा सकती है।

देश में बड़ी आबादी के पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं
भारत में बड़ी आबादी के पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है। नेशनल इंश्योरेंस एकेडमी (एनआईए) की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की 31 फीसदी यानी 40 करोड़ से अधिक आबादी के पास अभी तक कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है। जबकि 70 फीसदी आबादी सार्वजनिक हेल्थ इंश्योरेंस या स्वैच्छिक निजी हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में आते हैं।

कोरोना के बाद प्रीमियम काफी बढ़ा
उधर, जिन लोगों के पास निजी स्वैच्छिक हेल्थ इंश्योरेंस है, उनके लिए प्रीमियम महंगा होता जा रहा है। खास तौर पर मध्य वर्ग के परिवारों के लिए कोरोना के बाद प्रीमियम काफी बढ़ गया है। इसको लेकर भी विशेषज्ञों ने सरकार को सुझाव दिया है कि अगर बड़ी आबादी को हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में लाना है तो उसके लिए महंगे प्रीमियम को रोकना होगा। साथ ही, कई स्तर पर बीमा क्षेत्र में बदलाव करने होंगे, जिससे लोग बीमा करने के लिए स्वयं के स्तर पर भी प्रोत्साहित हों।

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