नई दिल्ली। राजस्थान (Rajasthan News) में राजनीतिक संकट से उबरने के लिए गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने एक बड़ा फैसला लिया है. गहलोत सरकार ने विधान परिषद (Legislative Council) के गठन को मंजूरी दे दी है. इसे गहलोत सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. सरकार की और से विधानमंडल बनाकर ज्यादा मंत्री बनाए जाएंगे. इससे सरकार अंदरूनी असंतोष को खत्म करने की कोशिश करेगी. इस प्रक्रिया को पूरा होने में समय लग सकता है. लेकिन इस नए फॉर्मूले से सियासी घमासान थमने की उम्मीद है.
राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि मंत्रिमंडल में विस्तार नहीं होने के कारण ही गहलोत और पायलट खेमें में विधायक विरोध कर रहे हैं. लंब समय से मंत्रिमंडल विस्तार की मांग को पूरा कर सरकार अब इसे खत्म करना चाहती है. सियासी घमासान को रोकने के लिए सरकार द्वारा तबादलों पर रोक हटाने के फैसले को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
ट्रांसफर भी नहीं करवा पा रहे थे विधायक
विधायकों की ओर से बात भी उठाई गई थी की वो अपने क्षेत्र के लोगों के ट्रांसफर भी नहीं करवा पा रहे हैं. राजस्थान कैबिनेट ने फैसला लिया है कि राज्य विधानसभा के अगल सत्र में ही संकल्प पारित करवा कर संसद भेजा जाएगा. वहीं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने बताया कि विधानपरिषद बनाए जाने को लेकर अब प्रक्रिया को तेज किया जाएगा. साल 2012 में भी ये संकल्प पारित किया गया था. लेकिन वो अभी भी लंबित है.
आसान नहीं है रास्ता
सरकार की ओर से विधानपरिषद को लेकर प्रस्ताव भेजने को मंजूरी दे दी गई है. लेकिन ये प्रक्रिया कब पूरी हो पाएगी. इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. ये संवैधानिक प्रक्रिया पूरा होने में सालों लग जाते हैं. इससे पहले साल 2008 में भी वसुंधरा सरकार और 2012 में गहलोत सरकार ने भी प्रस्ताव केंद्र को भेजा था. इसके संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने सुझावों के संबंध में राज्य सरकार से राय मांगी थी. करीब 9 साल बाद राज्य सरकार इस पर अपनी राय भेज रही है.
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