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संकटों से घिरी गहलोत सरकार: विपक्ष लगातार कर रहा वार, सियासत अपार, कब पड़ेगी पार

May 01, 2022

जयपुर: राजस्थान सरकार के ग्रह-नक्षत्र इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं. राज्य सरकार को लगातार एक के बाद एक बड़े संकटों (Big crises) का सामना करना पड़ रहा है. एक संकट से मुक्ति मिलती नहीं है कि दूसरा संकट तैयार खड़ा मिलता है. कई बार तो परेशानियां चौतरफा हमला कर रही हैं. इन संकटों से निपटने में सरकार को बहुत वक्त और शक्ति जाया करनी पड़ रही है. वर्तमान की ही अगर बात करें तो अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot government) के सामने कई ऐसी चुनौतियां हैं जिनसे वह जूझ रही है. समस्याओं को सुलझाने के लिए एक ओर जहां जनता का प्रेशर है तो दूसरी ओर विपक्ष भी लगातार हमलावर हो रहा है.

कुछ संकट ऐसे हैं जिनके लिए राज्य सरकार सीधे तौर पर तो जिम्मेदार नहीं है लेकिन इन संकटों से निजात दिलाना राज्य सरकार की ही जिम्मेदारी है. सरकार इन संकटों से जूझ भी रही है और इनके जल्द से जल्द निस्तारण के प्रयास भी कर रही है लेकिन संकट हैं कि एक के बाद एक थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. पहले भी कई तरह के संकट सरकार की परेशानी बढ़ा चुके हैं और सरकार उनसे उबरी भी है. लेकिन अब प्रदेश चुनावी मोड पर आ चुका है. लिहाजा विपक्ष भी हर मामले को पुरजोर तरीके से उठाने की कोशिश कर रहा है. प्रत्येक मामले में सरकार को सीधे तौर पर घेरा जा रहा है.


सरकार के सामने आ रहे ये एक के बाद एक बड़े संकट

  • कोयले की कमी से खड़ा हुआ बिजली संकट सरकार के सामने बड़ी चुनौती है.
  • बिजली कटौती शुरू होने से जनता में रोष पनप रहा है.
  • भीषण गर्मी में कई जगहों पर पेयजल का संकट भी खड़ा हो रहा है.
  • पानी की किल्लत होने से जगह-जगह प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं.
  • पशुओं के लिए चारे का बंदोबस्त करना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.
  • अपराध और कानून व्यवस्था के मुद्दों को लेकर भी सरकार को घेरा जा रहा है.
  • जगह-जगह हुई अपराध की बड़ी घटनाओं सरकार की चिंता बढ़ी हुई है.
  • करौली के बाद अलवर में हुई घटना ने भी सरकार की परेशानी बढ़ा दी है.
  • जगह-जगह साम्प्रदायिक तनाव और बढ़ता जातिगत वैमनस्य भी सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
  • प्रदेश में सामने आ रहे भ्रष्टाचार के बड़े मामलों से भी सरकार की चिंतित है.

एक-दूसरे के पाले में डाल रहे हैं गेंद
इन संकटों पर सियासत भी खूब हो रही है. विपक्ष हमलावर है और सरकार को घेरने में लगा है. वहीं राज्य सरकार कई मामलों को बीजेपी और केन्द्र सरकार के पाले में डालने की कोशिश कर रही है. सरकार पर संकट कई तरह के हैं लेकिन सीएम गहलोत की पहचान संकटमोचक के तौर पर है. उम्मीद की जा रही है कि मौजूदा संकटों से भी सरकार जल्द ही उबर जाएगी.

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