जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने मौजूदा कार्यकाल का तीसरा और बेहद चुनौतीपूर्ण बजट (Budget-2021-22) विधानसभा में पेश कर दिया है। मुख्यमंत्री ने खाली चल रहे सरकारी खजाने को भरने के लिए मौजूदा कर प्रस्तावों में कोई नया कर (Tax) नहीं लगाया है। गहलोत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय संसाधन जुटाने की है। इसके लिए सरकार को केन्द्र सरकार (Central government) पर निर्भर रहना पड़ेगा। यदि केंद्र सरकार अपने हाथ पीछे खींच लेती है तो राज्य की अर्थव्यवस्था हिचकोले खाने लगेगी। राजस्थान सरकार अब तक बाजार से 40 हजार करोड़ रुपये उधार ले चुकी है।
कर्मचारियों को वेतन देने और रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए सरकार को उधार लेना पड़ सकता है। मुख्यमंत्री के बजट भाषण से साफ संकेत मिल रहे हैं कि राज्य सरकार को खर्च चलाने के लिए केन्द्र सरकार पर निर्भर रहना पड़ेगा। वर्ष 2020-21 का वार्षिक वित्तीय विवरण सदन के पटल पर रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कमी की पूर्ति करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अनुमत अतिरिक्त ऋण सीमा का उपयोग करने के साथ-साथ वित्तीय प्रबंधन किया जाएगा। वर्ष 2020-21 के लिये प्रदेश को प्राप्त होने वाली राशि में केन्द्र द्वारा 14 हजार 94 लाख करोड़ रुपये की कमी की गई है। ऐसे में गहलोत सरकार के वित्तीय प्रबंधकों के सामने सरकार की आर्थिक सेहत को सुधारने की बड़ी चुनौती है।
उधारी से चल रहा काम
राजस्थान की पूरी अर्थव्यवस्था ही उधार खाते में चल रही है। रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए सरकार अब तक बाजार से 40 हजार करोड़ रुपये उधार ले चुकी है। यह पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में करीब 14 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। 2020-21 के बजट अनुमानों में गहलोत सरकार ने राजकोषीय घाटे का अनुमान 33,922 करोड़ रुपए रखा था। वह दिसंबर के अंत तक ही 18 प्रतिशत तक बढ़कर 40,190 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। सीएम अशोक गहलोत ने बजट पेश करते हुए पक्ष और विपक्ष से मिलकर काम करने का आह्वान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष को सहयोग करना चाहिए। केन्द्र सरकार के पीछे पड़े। सरकार को वित्तीय मदद दिलवाये।
राजकोषीय घाटा 47 हजार करोड़ पार
अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष पूरा होने तक राजकोषीय घाटा 47 हजार 652 करोड़ 77 लाख को पार कर जाएगा। यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3.98 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट पेश करते समय विधानसभा में कहा वर्ष- 2020- 21 के लिये प्रदेश को प्राप्त होने वाली राशि में केन्द्र द्वारा 14 हजार 94 लाख करोड़ की कमी की गई है। साथ ही आगामी वर्ष के लिये भी 40 हजार 106 करोड़ 81 लाख का प्रावधान किया गया है। यह वर्ष 2020-21 के प्रारंभिक अनुमान से भी 6 हजार 779 करोड़ 36 लाख कम है।
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