जयपुर। सत्रह दिसम्बर 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अशोक गहलोत की सरकार ने राजस्थान में गुरुवार को सत्ता के 2 साल पूरे कर लिए। यह समय लगभग 8 महीने चुनाव की आचार संहिता, 34 दिन की सियासी बाड़ाबंदी और 10 महीने के कोरोना संकट से लड़ते हुए गुजरा है।
गहलोत सरकार का दावा है कि चुनावी घोषणा पत्र में उल्लेखित 501 बिंदुओं में से 252 से अधिक पूरे हो गए हैं, जबकि 173 घोषणाओं को लेकर काम जारी है। लेकिन, जमीनी स्तर पर यह काम नजर नहीं आ रहे हैं। विपक्ष भी इस तथ्य को लेकर सरकार पर हमलावर है कि सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है, जबकि वास्तविकता में राज्य में कोई काम हुए ही नहीं है।
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने 17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद 24 दिसंबर को मंत्रीमंडल का गठन हुआ। मंत्रीमंडल के गठन के साथ ही गहलोत कैबिनेट की पहली बैठक हुई, जिसमें किसान कर्जमाफी का फैसला किया गया। कोरोना संकट को देखते हुए इस बार सरकार की सालगिरह सादगी से मनाई जाएगी। सभी मंत्रियों को 19 व 20 दिसंबर को अपने प्रभार वाले जिलों में रहने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी 18 दिसंबर को 2 दर्जन से अधिक नई योजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास कर सकते हैं।
2020 रहा सबसे चुनौतीपूर्ण
इन 2 साल में से साल 2020 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए खासा चुनौतीपूर्ण रहा। कोरोना के समय सरकार के सामने अर्थव्यवस्था को बचाना और जनता को सुविधाएं पहुंचाना काफी चुनौती भरा रहा। हालांकि, प्रबंधन और अनुभव से मुख्यमंत्री गहलोत ने राजस्थान की जनता को परेशानी नहीं आने दी, लेकिन प्रदेश की अर्थव्यवस्था फिलहाल चरमराई हुई है। इस बीच राजनीतिक उठापटक का भी सामना मुख्यमंत्री को करना पड़ा है।
गहलोत सरकार का यह दावा है कि विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में जो 501 वादे जनता से किए थे, उनमें से 252 वादे उन्होंने पूरे कर दिए हैं। इसी बीच पंचायती राज चुनाव, नगर निकाय चुनाव और नगर निगम चुनाव के चलते लगी आचार संहिता से भी सरकार का काम प्रभावित हुआ। मुख्यमंत्री गहलोत ने अपनी कैबिनेट के मंत्रियों के शपथ लेते ही चुनाव घोषणा पत्र को सरकारी दस्तावेज बनाने की घोषणा की थी। कैबिनेट के जरिए इसे सरकारी दस्तावेज बनाकर इसे जन घोषणा पत्र नाम दे दिया गया।
सरकार की बड़ी उपलब्धि कोरोना मैनेजमेंट
कोरोना संकट का मैनेजमेंट को सरकार अपनी बड़ी उपलब्धि बता रही है। प्रदेश के भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा पूरी दुनिया में हुई। इसके अलावा कोरोना काल में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत किया गया। मार्च में जब प्रदेश में कोरोना संकट शुरू हुआ था तब यहां इसकी टेस्टिंग की कोई सुविधा नहीं थी। लेकिन, अब प्रदेश में 60 हजार टेस्ट प्रति दिन की क्षमता विकसित कर ली गई है।
प्रमुख वादे जो पूरे हुए
चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा और वादा अगर कांग्रेस सरकार की ओर से कोई था, तो वह था किसानों की कर्जमाफी। गहलोत सरकार ने सरकार बनने के 10 दिनों में ही किसानों का कर्ज माफ कर दिया। इसके तहत 20.50 लाख किसानों के 7692 करोड़ रुपये के अल्पकालीन फसली ऋण माफ हुए। 28016 सीमांत और लघु किसानों के 290 करोड़ रुपये के मध्यकालीन से दीर्घकालीन कृषि ऋण माफ किए गए। पंचायती राज चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की शर्त को हटाया गया। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में कैंसर, हृदय, सांस, गुर्दा रोग की दवाइयों को शामिल किया गया और निशुल्क दवाइयों की संख्या भी 607 से बढ़ाकर 709 की गई। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 28 लाख बीपीएल, 1 करोड़ 17 लाख, स्टेट बीपीएल के 29 लाख, कुल 1 करोड 74 लाख लाभार्थियों को 1 मार्च 2019 से एक रुपए किलोग्राम की दर पर गेहूं का वितरण किया गया। प्रदेश की 144 मंडियों को इनाम पोर्टल से जोड़ा गया। प्रदेश में नई शिक्षा नीति बनाने की दिशा में काम हुआ और बंद किए गए 20 हजर स्कूलों की समीक्षा कर नए सिरे से उन्हें खोला गया। प्रदेश की नई पर्यटन नीति बनी व 100 करोड़ रुपए के पर्यटन के विकास कोष का गठन किया गया। महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य में 24 घंटे महिला हेल्पलाइन शुरू की गई। वृद्ध किसानों को पेंशन उपलब्ध कराई गई और किसानों को कृषि कार्य के लिए बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए आसान दर्पण गुणवत्ता युक्त बिजली उपलब्ध करवाई गई। हस्तशिल्प और हथकरघा निदेशालय का गठन किया गया। राजीव गांधी सेवा केंद्रों को लाइब्रेरी से जोड़ा गया। राज्य की सभी पंचायत समितियों में बालिका छात्रावास बनाए गए। 1114 किलोमीटर लंबाई से 330 गांवों को सडक़ों से जोड़ा गया। दो हजार करोड़ का किसान कल्याण कोष बनाया। इन 2 साल में 76 हजार से ज्यादा पदों पर नियुक्ति दी गई। 42 हजार पदों पर नियुक्तियां देना बाकी है, जो जल्द पूरी की जाएगी। 2137 अनुकंपा नियुक्ति दी गई। अल्पसंख्यकों के लिए राज्य मदरसा बोर्ड का गठन किया गया।
गहलोत सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय की फोटो सरकारी दस्तावेजों से हटाने, अटल सेवा केंद्रों का नाम राजीव गांधी सेवा केंद्र करने, अन्नपूर्णा रसोई का नाम इंदिरा रसोई करने और भामाशाह कार्ड को बंद कर जन आधार कार्ड करने के फैसले लिए। अभी भी कुछ वादे ऐसे हैं जो अभी अधूरे हैं। इनमें विभिन्न विभागों में लंबित भर्तियों का मामला, जवाबदेही कानून बनाने का मामला, 75 हजर भर्तियां हर साल करने का वादा और संविदा कर्मियों को स्थाई करने का वादा शामिल है।
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