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    बेहतर रहा दूसरी तिमाही में जीडीपी का हाल, सिर्फ 7.5 फीसद का संकुचन

  • November 28, 2020


    नई दिल्ली । भारत की अर्थव्यवस्था अब आधिकारिक रूप से मंदी की चपेट में है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी भारतीय अर्थव्यवस्था में संकुचन दर्ज किया गया है। भारत की जीडीपी में दूसरी तिमाही में 7.5 फीसद का संकुचन दर्ज किया गया है। शुक्रवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकारी प्राप्त हुई है। इससे पहले मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 फीसद की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज हुई थी।

    बता दें कि दूसरी तिमाही में जीडीपी की गिरावट की रफ्तार 10 फीसद के करीब रहने की उम्मीद जताई जा रही थी। इस तरह देखें, तो आंकडे़ उम्मीद से काफी बेहतर हैं। गिरावट की यह रफ्तार मौजूदा तिमाही में और धीमी पड़ेगी और चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च, 2021 में वृद्धि दर के सकारात्मक होने की संभावना है।

    देश की दो प्रमुख आर्थिक रिसर्च एजेंसियों एसबीआई और क्रिसिल की ताजी रिपोर्ट में कहा गया था कि दूसरी तिमाही में भी इकोनॉमी की स्थिति को संभालने में सबसे बड़ी भूमिका कृषि सेक्टर ही निभाएंगा। एसबीआई ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट की रफ्तार 10.7 फीसद के करीब रहने की उम्मीद जताई थी।

    सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में सकल संपत्ति मूल्य (GVA) -7 फीसद रहा है। इसके -8.6 फीसद रहने का अनुमान था। वहीं, कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.4 फीसद रही है। इसके 3.9 फीसद रहने का अनुमान था।

    सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के आंकड़ों के अनुसार, दूसरी तिमाही में क्षेत्रानुसार जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े निम्न हैं-

    कृषि क्षेत्र: 3.4%, खनन: -9.1%, मैन्युफैक्चरिंग: 0.6%, विद्युत: 4.4%, निर्माण: -8.6%, ट्रेड एंड होटल्स: -15.6%,, वित्त, बीमा और रियल्टी: -8.1%, लोक प्रशासन, रक्षा: -12.2% । 

    भारत के आठ प्रमुख उद्योगों की ग्रोथ अक्टूबर, 2020 में -2.5 फीसद पर रही है। यह पिछले महीने अर्थात सितंबर, 2020 में -0.8 फीसद रही थी। आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-अक्टूबर, 2020 के दौरान भारत के आठ प्रमुख उद्योगों की ग्रोथ -13 फीसद रही। एक साल पहली की समान अवधि में यह 0.3 फीसद रही थी। आठ बुनियादी उद्योगों में कोयला, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली शामिल है।

    मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने दूसरी तिमाही के आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। सुब्रमण्यम ने कहा कि मौजूदा आर्थिक स्थिति कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव को प्रदर्शित कर रही है। सुब्रमण्यम ने कहा कि तीसरी तिमाही में खाद्य महंगाई में कमी आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी चीज है जिसे बारीकी से ट्रैक करना होता है।

    सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर तक पिछले सात महीनों में भारत का संघीय राजकोषीय घाटा 9.53 लाख करोड़ रुपये (128.9 बिलियन डॉलर) या पूरे वित्त वर्ष के लिए बजटीय लक्ष्य का 126.7 फीसद रहा है। आंकडों के अनुसार, शद्ध टैक्स 5.76 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुआ। यह एक साल पहले की तुलना में 15.7 फीसद कम है। जबकि कुल व्यय 16.6 लाख करोड़ रुपये का रहा।

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