नई दिल्ली। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में 4.5 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया है। फिक्की ने जारी इकॉनॉमिक आउटलुक सर्वे में ये अनुमान जताया है।
इस सर्वे में कहा गया है कि दुनियाभर में कोविड-19 के तेजी फैलने की वजह से पैदा हुए आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी संकट के कारण वह अपने पूर्वानुमान में भारी संशोधन कर रहा है। उल्लेखनीय है कि फिक्की ने जनवरी, 2020 के अपने सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष में 5.5 फीसदी जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान जताया था।
फिक्की ने इकॉनॉमिक आउटलुक सर्वे का विवरण जारी करते हुए कहा है कि ये आर्थिक सर्वेक्षण जून महीने में हुआ था। उद्योग परिसंघ के मुताबिक इस सर्वे में उद्योग, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र के विभिन्न प्रमुख अर्थशास्त्रियों के विचारों को जगह दी गई। इसी के अधार पर वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश में (-) 4.5 फीसदी की सालाना औसत दर पर जीडीपी वृद्धि का अनुमान जताया गया है। वहीं, सर्वे के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी दर में 14.2 फीसदी के औसत संकुचन का अनुमान लगाया गया है।
गौरतलब है कि तमाम रेटिंग्स एजेंसियों के साथ-साथ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने भी मई में वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी वृद्धि दर निगेटिव अंकों में रहने का अनुमान जताया है। कोविड-19 की महामारी की वजह से देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। हालांकि, लॉकडाउन में लागू की गई पाबंदियों पर से धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। वहीं, एसबीआई बैंकिंग एंड इकोनॉमिक कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक दिन पहले कहा कि पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दिए जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था के वापस पटरी पर लौटने के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि, दास के मुताबिक ये अब भी अनिश्चित है कि सप्लाई चेन कब तक पूरी तरह से पूर्व की स्थिति में आ पाएगा और मांग से जुड़ी चीजों के सामान्य होने में और कितना समय लगेगा। (एजेन्सी, हि.स.)
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