नई दिल्ली: गाजा की जंग (war of gaza) इजराइल और अमेरिका (Israel and America) के लिए संकट बनती जा रही है. अरब में बने अमेरिकी सैन्य ठिकाने मिलिटेंट ग्रुप्स का निशाना (Target of militant groups) बन रहे हैं. 72 घंटे में अरब के हथियारबंद संगठन (armed organization) अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर 8 मिसाइल और ड्रोन हमले कर चुके हैं. बाइडेन समझ रहे हैं कि ये संकट बढ़ा तो नुकसान बड़ा होगा. इसलिए जंग के साथ-साथ डिप्लोमेसी तेज कर दी गई है. अमेरिका इजराइल और गाजा युद्ध का ‘कोड 1967’ समाधान निकाल रहा है. जानिए क्या है अमेरिका का प्लान और क्या इससे युद्ध शांत हो पाएगा?
अरब में सक्रिय हथियारबंद संगठनों को आतंकी संगठन या नॉन स्टेट एक्टर्स कहा जाता है, लेकिन इन संगठनों को स्टेट्स का भी समर्थन होता ही है. इसलिए लेबनान की सीमा से हिजबुल्लाह संगठन के लड़ाके इजराइली सीमा में रॉकेट और मिसाइल हमले कर रहे हैं. इराक और सीरिया में बने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले किए जा रहे हैं. 20 अक्टूबर की रात एक बार फिर अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर हथियारबंद संगठन हमला करने में कामयाब रहे. 20 अक्टूबर को इराकी कुर्दिस्तान में US बेस पर हमला हुआ. ये हमला अल-हरीर बेस पर किया गया. इससे पहले इराक और सीरिया में US बेस पर 8 ड्रोन और मिसाइल हमले हुए. इन हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक रेसिस्टेंस ने ली है.
19 अक्टूबर को हूती विद्रोही संगठन ने 9 घंटे तक लगातार इजराइल और अमेरिकी सेना पर हमले किए. रेड सी में तैनात USS कार्नी ने 4 क्रूज मिसाइल और 15 ड्रोन इंटरसेप्ट किए, जिनका संभावित टारगेट US नेवल बेड़ा और इजराइल थे. हमले सिर्फ अमेरिका पर ही नहीं हो रहे हैं, बल्कि इजराइल और हिजबुल्लाह की जंग दक्षिणी लेबनान में जारी है. हिजबुल्लाह के लड़ाकों ने 20 अक्टूबर को लेबनान सीमा के नजदीक इजराइल पर रॉकेट हमला किया, इस हमले में इजराइल का कम्युनिकेशन और निगरानी टावर ध्वस्त हो गया.
लेबनान सीमा से आने वाले रॉकेट का जवाब इजराइली सेना भी दे रही है. सवाल ये है कि इजराइल पर हमलों के साथ-साथ आखिर अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर आतंकी संगठनों के हमले क्यों शुरू हो गए हैं, तो इसका जवाब है गाजा में युद्ध रोकना और अमेरिका पर दबाव बनाना. ईरान, सीरिया, लेबनान मिलकर गाजा पर हमला रोकना चाहते हैं. सऊदी अरब की मांग है कि इजराइल को उतना क्षेत्र ही सौंपा जाए जितना 1967 में उसके पास था.
1975 से लेकर 2023 तक इजराइल का नक्शा बढ़ता रहा और फिलिस्तीन घटता रहा. 1947 में इजराइल का क्षेत्र पहले के मुकाबले बढ़ गया. 1967 में इजराइल का क्षेत्र और बढ़ा. फिलिस्तीन घटता गया. 2012 में इजराइल का विस्तार हुआ. माना जा रहा है कि 2023 में इजराइल गाजा पट्टी पर कब्जा करना चाहता है, लेकिन अमेरिका अरब की नाराजगी के देखते हुए प्लान B तैयार कर चुका है.
अरब का प्लान है कि गाजा को एक बार फिर 1967 जैसी स्थिति में लाया जाए और इसलिए अमेरिका पर हमले किए जा रहे हैं. अमेरिका अरब के इस प्लान को समझ रहा है और इसलिए इजराइल के हक में डिप्लोमैटिक हलचल तेज कर दी गई. विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बीते हफ्ते ही अरब के 7 से ज्यादा देशों के दौरे किए और बड़े नेताओं से मुलाकात की.
अमेरिका नहीं चाहता है कि इजराइल का नक्शा दोबारा 1967 जैसे स्थिति में लौटे इसलिए एक प्लान बी तैयार किया गया है. पुराना प्लान ये था कि इजराइल गाजा पर हमला करेगा. इस हमले में हमास को नष्ट कर दिया जाएगा. इस प्लान की आशंका ये थी कि इजराइल गाजा पर कब्जा कर लेगा. इजराइल ने इससे साफ इनकार किया कि उसका उद्देश्य गाजा पर कब्जा करना नहीं है.
नया प्लान अमेरिका और इजराइल ने तैयार किया है. अब गाजा हमले के प्लान का उद्देश्य बदल दिया गया है. इसका उद्देश्य है गाजा से हमास का शासन खत्म करना. इसके बाद गाजा पट्टी में अंतरिम सरकार स्थापित करना. इस सरकार को UN का समर्थन प्राप्त होगा. साथ ही अरब देशों के सुल्तान और शासकों को गाजा सरकार में शामिल किया जाएगा. अमेरिका इसी प्लान पर काम कर रहा है और कतर के जरिए हमास से बंधकों को रिहा कराने वार्ता जारी है. हमास ने अमेरिका के बंधक रिहा भी किए हैं. हालांकि अमेरिका जिस प्लान पर बढ़ रहा उसे अरब देशों का समर्थन मिलेगा या नहीं इसका दावा नहीं किया जा सकता.
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