नई दिल्ली। गौतम अडानी (Gautam Adani) की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कुछ समय पहले खबर आई थी कि कुछ एफपीआई के अकाउंट फ्रीज किए गए हैं, जिन्होंने अडानी की कंपनियों में मोटी निवेश किया है। उस खबर के बाद कई दिनों तक लगातार गौतम अडानी की कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई।
अभी उनकी कंपनी के शेयरों की हालत कुछ संभली ही थी कि ईडी की तरफ से इन कंपनियों की जांच होने की खबर आने लगी। सरकार ने साफ किया कि ईडी नहीं, बल्कि सेबी (SEBI) और डीआरआई (DRI) की तरफ से इन कंपनियों की जांच की जा रही है। इस खबर के बाद फिर से अडानी की कंपनियों में गिरावट का दौर (Lower Circuit) शुरू हो गया है।
6 में से 4 कंपनियों में लगा लोअर सर्किट
मंगलवार को शेयर बाजार खुलते ही अडानी की 6 में से 3 कंपनियों में लोअर सर्किट लग गया। कुछ ही मिनटों बाद एक और कंपनी ने लोअर सर्किट छू लिया। बाकी दो कंपनियों में भी गिरावट जारी रही। मंगलवार को बाजार खुलते ही अडानी ट्रांसमिशन, अडानी टोटल गैस लिमिटेड और अडानी ग्रीन के शेयरों में लोअर सर्किट लग गया और कुछ देर बाद अडानी पावर ने भी लोअर सर्किट छू लिया।
क्या आई थी खबर?
बाजार नियामक सेबी (SEBI) और डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) अडानी समूह की कुछ कंपनियों की जांच कर रहे हैं। इन कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को संसद को यह बताया। उन्होंने यह नहीं बताया कि अडानी समूह की किन-किन कंपनियों की जांच हो रही है। अभी यह नहीं पता चल पाया है कि सेबी ने जांच कब शुरू की है। पंकज चौधरी ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उनके इस बयान के बाद अडानी समूह (Adani Group) की कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली।
क्यों गिर रहे हैं अडानी की कंपनियों के शेयर?
इस भारी गिरावट की वजह है एनएसडीएल (NSDL) की तरफ से हुई कार्रवाई। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (National Securities Depository Ltd) ने तीन विदेशी फंड्स Albula Investment Fund, Cresta Fund और APMS Investment Fund के अकाउंट्स फ्रीज कर दिए हैं। इनके पास अडानी ग्रुप की 4 कंपनियों के 43,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के शेयर हैं। NSDL की वेबसाइट के मुताबिक इन अकाउंट्स को 31 मई को या उससे पहले फ्रीज किया गया था। हालांकि, गौतम अडानी ने किसी भी अकाउंट के फ्रीज होने की खबर को गलत बताया था।
अकाउंट फ्रीज होने का मतलब समझिए
एक अधिकारी ने बताया कि अमूमन कस्टोडियन अपने क्लाइंट्स को इस तरह की कार्रवाई के बारे में आगाह कर देते हैं लेकिन अगर फंड इस बारे में जवाब नहीं देता है या इसका पालन नहीं करता है तो अकाउंट्स को फ्रीज किया जा सकता है। अकाउंट फ्रीज करने का मतलब है कि फंड न तो कोई मौजूदा सिक्योरिटीज बेच सकता है और न ही नई खरीद सकता है।
इस बारे में एनएसडीएल, सेबी और अडानी ग्रुप को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया। Albula Investment Fund, Cresta Fund और APMS Investment Fund से संपर्क नहीं हो पाया। ये तीन फंड सेबी में विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के तौर पर रजिस्टर्ड हैं और मॉरीशस से अपना कामकाज चलाते हैं। ये तीनों का पोर्ट लुई में एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं और इनकी कोई वेबसाइट नहीं है।
शेयरों की कीमतों में छेड़छाड़ की जांच
कैपिटल मार्केट्स रेग्युलेटर ने 2019 में एफपीआई के लिए केवाईसी (KYC) डॉक्युमेंटेशन को पीएमएलए के मुताबिक कर दिया था। फंड्स को 2020 तक नए नियमों का पालन करने का समय दिया गया था। सेबी का कहना था कि नए नियमों का पालन नहीं करने वाले फंड्स का अकाउंट फ्रीज कर दिया जाएगा। नए नियमों के मुताबिक एफपीआई को कुछ अतिरिक्त जानकारी देनी थी।
इनमें कॉमन ऑनरशिप का खुलासा और फंड मैनेजर्स जैसे अहम कर्मचारियों की पर्सनल डिटेल शामिल थी। माना जा रहा है कि सेबी अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की price manipulation की भी जांच कर रहा है। पिछले एक साल में इन कंपनियों के शेयरों में 200 से 1000 फीसदी तक का उछाल देखा गया। मामले के एक जानकार ने कहा कि सेबी ने 2020 में इस मामले के जांच शुरू की थी जो अब भी चल रही है। इस मामले में सेबी ने उसे भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
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