भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी में पीडि़तों की सही गिनती और मुआवजे के लिए लगाई गई सुधार याचिकाओं पर अब 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। भोपाल के गैस पीडित संगठनों ने आशंका जताई कि दौरान सरकार जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट में कम आकंड़े पेश कर सकती है इससे पीडि़तों को उचित मुआवजे के हक से वंचित रहना पड़ेगा। भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढ़ींगरा ने पांच गैस पीडित संगठनों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके स्वागत किया।
दो दिन बाद 29 अगस्त से पांच जजों की पीठ 25 लंबित मामलों की सुनवाई करेगी। इनमें भोपाल गैस त्रासदी की सुधार याचिका पर भी सुनवाई होगी। भोपाल गैस पीडि़त महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा कि बतौर संगठन भी हम इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार के साथ याचिकाकर्ता हैं। हम अतिरिक्त मुआवजे के लिए 646 अरब रुपयों की मांग कर रहे हैं जबकि सरकारें मात्र 96 अरब में समझौता करना चाहती हैं। हम ये नहीं होने देंगे। भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढ़ींगरा ने कहा, सरकार मौत का सही आंकड़ा नहीं पेश कर रही है। 93 प्रतिशत पीडि़तों के स्वास्थ्य नुकसान को अस्थाई बता रही है।
वैज्ञानिक रिपोर्ट और यहां तक की सरकारी दस्तावेज कहते हैं कि सही आंकड़ा 23000 है। सबके नुकसान स्थाई है। भोपाल गैस पीडि़त महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने सरकार पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में कम से कम चार मौकों पर राज्य और केंद्र सरकारों के मंत्रियों और अधिकारियों ने यह माना है कि सुधार याचिका में गैस हादसे की वजह से पहुंचे नुकसान के आंकड़े गलत थे।
29 को सुनवाई लेकिन नहीं सुधारा गया आंकड़ा
प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठनों ने चिंता जताई कि सरकार आंकड़ों को ठीक करने को लेकर उदासीन है। गैस पीडि़त निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा कि यदि राज्य और केंद्र की सरकारें सुनवाई से पहले अपने वादे के मुताबिक याचिका में आंकड़ें नही सुधारती हैं तो न्याय मिलना मुमकिन नहीं होगा। यह जानबूझकर कर सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करना कहा जाएगा।
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