नई दिल्ली (New Delhi) । गरुड़ पुराण (Garuda Purana) का सनातन हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इसमें विशेषकर जीवन-मृत्यु और मृत्यु के बाद ही घटनाओं बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है. गरुड़ पुराण को भगवान विष्णु (Lord Vishnu ) का स्वरूप माना जाता है, क्योंकि इसमें विष्णुजी के 24 स्वरूपों का भी वर्णन मिलता है.
गरुड़ पुराण ग्रंथ में भगवान विष्णु अपने प्रिय वाहन पक्षीराज गरुड़ देव के माध्यम से मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताते हैं. साथ ही इसमें बताया गया है कि मृत्यु पश्चात कर्मों के अनुसार किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है.
यमलोक मार्ग में आत्मा का होता है इन दो नदियों से सामना
गरुड़ पुराण ग्रंथ में यमलोक मार्ग (hell road) का भी जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा यमपुरी जाती है. यमपुरी जाने के मार्ग में दो नदियां वैतरणी नदी और पुष्पोदका नदी पड़ती है. इसमें वैरतणी नदी बहुत ही खतरनाक होती है, जिसे पार करने में पापी आत्मा को अत्यंत पीड़ा सहनी पड़ती है. जानते हैं इनके बारे में.
बहुत भयानक है वैतरणी नदी
यमलोक के मार्ग में पड़ने वाली वैरतणी नदी बहुत भयानक होती है. गरुड़ पुराण के अनुसार, इस नदी में खून और मवाद बहते हैं, जिसे पापी आत्मा को पार करना होता है. जो व्यक्ति अच्छे कर्म करते हैं या फिर परिजन का विधिपूर्वक कर्मकांड करते हैं, वो आत्मा इस नदी को आसानी से पार कर लेती है. लेकिन पापी आत्मा को देख यह नदी और भी उग्र हो जाती है. ऐसे लोग जो अपने परिजन का विधिवत कर्मकांड नहीं करते, उन्हें इस नदी को पार करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है.
हालांकि नदी को पार करने के लिए नाव भी होता है, लेकिन नाव को प्रेत आत्माएं चलाते हैं, जोकि आत्मा से उनके पुण्यकर्म पूछते हैं. जो आत्माएं जीवन में पुण्य कर्म करती है या फिर जिनके परिजन गाय का दान करते हैं, उन्हें प्रेत नाव में बैठाकर नदी को पार कराते हैं. लेकिन जिनके पास जीवन में किए दान-पुण्य का कोई लेखा-जोखा नहीं होता उनकी नाक में कांटा फंसाकर यमदूत उसे खींचते हुए नदी के ऊपर से ले जाते हैं. यही कारण है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में गाय का दान और पुण्य कर्म के महत्व के बारे में बताया गया है.
पुष्पोदका नदी में विश्राम करती है आत्माएं
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, यमपुरी के मार्ग में पुष्पोदका नदी भी मिलती है. इस नदी को पार कर ऐसी आत्माएं यमलोक पहुंचती हैं, जो अपने मृत परिजनों का पिंडदान करते हैं और जीवन में अच्छे कर्म करते हैं. इस नदी का जल बहुत निर्मल होता है और यहां आत्माएं विश्राम करती हैं. इसके बाद यमपुरी पहुंचती हैं.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य से पेश की गई है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं. इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
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