भोपाल। 61 साल के गैंगस्टर मुख्तार मलिक की झालावाड़ में मौत के बाद एक रिकार्डिंग सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। जिसमें मुख्तार के आखीरी बोल में किसी युवा बदमाश जैसे भाव हैं। बूड़ा हो चुका बदमाश पूरी दिलेरी से बंटी को धमका रहा था। वह कहता है, हिंदुस्तान में हम पर हाथ डालने की हिम्मत किसी में नहीं। तूने किसके बिल में हाथ डाल दिया बंटी जानता नहीं, तेरे सामने से खून की होली खेलेंगे हम। गांव में घुसकर मारेंगे। मुख्तार और बंटी के बीच में विवाद एक बोट को लेकर था। बंटी लगातार बोट देने के बदले पैसों की मांग कर रहा था। आडियो में बदमाश विक्की उर्फ वाहिद की भी आवाज सुनाई दे रही है। मुख्तार और विक्की बंटी को धमकाते हुए दोबारा तालाब में न दिखने की नसीहत देते सुनाई दे रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बातचीत के बाद मुख्तार अपनी बदमाश साथियों के साथ नदी में पहुंचा। जहां दोनों पक्षों में विवाद हुआ और फायरिंग हो गई। इधर, झालावाड़ पुलिस का कहना है कि विक्की और बंटी की गिरफ्तारी के बाद पूरा घटनाक्रम साफ हो सकेगा।
भरमार बंदूकों से हाईटेक आर्मस तक का दौर जिया मुख्तार ने
भरमार बंदूकों के दौर से हाईटैक आर्मस के इस दौर तक लगातार चालिस साल से अपराध की दुनिया में सक्रीय गैंगस्टर मुख्तार मलिक का अंद हो गया। लग्जरी लाइफ जीने वाला मुख्तार का आखिरी समय जंगलों में भटकते हुए गुजरा। इस दौरान भूख और प्यास के कारण उसकी बॉडी डी हाईड्रेट हो गई। मुख्तार पुलिस को मिला तो जिंदा पर ज्यादा देर मौत को मात नहीं दे सका और उपचार के दौरान उसकी सांसे रुक गई। हालांकि मुख्तार जिंदा दिली से जिन्दगी जीने वाला व्यक्ति था, पूर्व में तीन बार मौत को मात दे चुका था।
13 दिन में दो बड़े गैंगवार किए
जिंदगी के आखीरी दौर में अप्रेल और जून के महीने में मु तार ने 13 दिन में दो बड़ी गैंगवार की। मु तार भोपाल के कोहेफिजा में दो सप्ताह पहले चंद्रशेखर और मछलीगैंग पर फायरिंग कर फरार हुआ था। राजस्थान में बंटी गैंग से आमने सामने की लड़ाई में चोटिल हुआ मारा गया।
नामचीन अपराधी मुख्तार के गुर्गे रहे
भोपाल में इन दिनों पुलिस रिकार्ड में दर्ज कई नामचीन बदमाश मुख्तार के गुर्गे रहे हैं। मुख्तार की होड़ में जुर्म की दुनिया में आए यह बदमाश उसे अपना आईडल मानते थे। समय के साथ अपना कद बढ़ाने की लालच में मुख्तार के खिलाफ गए, लेकिन मुख्तार की बराबरी कभी नहीं कर सके। हाल में मुख्तार कई बीमारियों का शिकार हो गया था, उसका जिस्म कमजोर हो चुका था। कुछ बदमाशों ने उस पर प्रभाव डालने का प्रयास किया लेकिन मुख्तार का दिल हमेंशा से ही खुला हुआ रहा। लिहाजा मुख्तार किसी से नहीं दबा और अपने दबदबे को अंतिम सांस तक कायम रखा।
चालीस साल तक की बदमाशी
चालिस साल की बदमाशी का लंबा सफर तय करने के दौरान मुख्तार ने फांसी की सजा के बाद मौत को मात दी। रायसेन जिले में बच्चों के अपरहण और फिरौती की मांग के बाद पुलिस ने उसका एनकाउंटर करना चाहा, मुख्तार पुलिस के हाथ नहीं लगा। जबकि उसके दो गुर्गों को पुलिस की गोली ने अपना शिकार बनाया। भोपाल की पुरानी अदालत में दुश्मन मुन्ने पैंटर की गैंग ने उसकी हत्या करना चाही, वहां से भी मुख्तार मौत को मात देने में कामयाब रहा।
करीम लाला,ददुआ और सतीश भाऊ गैंग से रहे रिश्ते
मुख्तार के बारे में किस्से थे कि उसकी मुंबई अंडरवल्र्ड में अच्छी पैंठ थी। मुंबई में करीम लाला गैंग के लिए ाी उसने कई अपराध किए, बॉलीवुड सितारों तक को चमकाया। इसी के साथ कु यात ददुआ से भी उसकी अच्छी बनती थी। इंदौर की सतीश भाऊ की गैंग में भी उसकी अच्छी धाग थी।
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